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हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान 20 सीटों पर वोटिंग में गड़बड़ी के आरोप वाली शिकायत अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि चुनाव के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में छेड़छाड़ हुई है। इसकी जांच के आ
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साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि कांग्रेस पार्टी ने भी चुनाव में गड़बड़ी की शिकायत ECI से की थी, लेकिन उसमें कोई कार्रवाई नहीं हुई है। याचिकाकर्ता ने उन 20 सीटों पर दोबारा चुनाव कराने की मांग की है।
EVM में गड़बड़ी को लेकर कांग्रेस भी सवाल उठा चुकी है। हालांकि, भारतीय चुनाव आयोग के चीफ इलेक्शन कमिश्नर राजीव कुमार कह चुके हैं कि EVM बिल्कुल सुरक्षित हैं। उनके नतीजे एकदम सही हैं। इनमें गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं है।
EVM में काउंटिंग वाले दिन भी 99% बैटरी थी जानकारी के अनुसार, प्रिया मिश्रा और विकास बंसल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है। एडवोकेट नरेंद्र मिश्रा के माध्यम से दी गई याचिका में कहा गया है कि ECI ने EVM के माध्यम से हरियाणा में चुनाव कराए हैं, और उसी के आधार पर रिजल्ट भी घोषित किए हैं।
याचिकाकर्ता का कहना है कि कुछ EVM 99 प्रतिशत बैटरी क्षमता पर काम कर रही थीं, जबकि कुछ EVM 60-70 और 80 प्रतिशत से कम बैटरी क्षमता पर काम कर रही थीं। कुछ EVM में काउंटिंग वाले दिन भी 99 प्रतिशत बैटरी थी।
EVM को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी सवाल उठाए थे। – फाइल फोटो
वोटिंग के दौरान ही पकड़ी थी EVM की गड़बड़ी याचिका में कहा गया है कि कुछ पोलिंग स्टेशन पर वोटिंग और काउंटिंग के दौरान ही EVM की गड़बड़ी पकड़ ली गई थी। मौके पर मौजूद कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने EVM की गड़बड़ी को वहां मौजूद चुनाव अधिकारी को बताया भी था, लेकिन कांग्रेस के लोग ज्यादा नहीं थे, इसलिए उनकी सुनवाई नहीं हुई।
ECI ने वोटिंग के बाद काउंटिंग के एक दिन पहले तक वोटिंग प्रतिशत को लगातार अपडेट किया। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि हरियाणा की जिन 20 विधानसभा सीटों पर EVM में गड़बड़ी की संभावना है, उन सीटों पर दोबारा चुनाव कराए जाएं।
ECI चीफ जवाब दे चुके इससे पहले मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के लिए आयोजित की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कह चुके हैं कि EVM में कोई गड़बड़ी नहीं है। उन्होंने कहा कि EVM की बैटरी कैलकुलेटर बैटरी की तरह सिंगल यूज बैटरी होती है। यह मोबाइल बैटरी की तरह नहीं है।
आयोग ने कहा है कि EVM में एक प्रावधान है कि मशीनों को कम वोल्टेज की आवश्यकता होती है। कमीशनिंग के बाद जब मॉक पोल होता है तो शुरू में 99% बैटरी दिखती है। इसके साथ ही जब यह 7.4% से कम वोल्टेज होता है तो यह कम बैटरी दिखाता है।
आयोग की ओर से यह भी कहा गया है कि हमने सभी रिटर्निंग ऑफिसर से उन 20 निर्वाचन क्षेत्रों में कौन-कौन मौजूद था, इसकी पूरी जानकारी देने को कहा है।
ECI के चीफ इलेक्शन कमिश्नर राजीव कुमार। – फाइल फोटो
ECI चीफ की ओर से कही गईं 3 खास बातें…
- लोग पूछते हैं कि किसी देश में पेजर उड़ा देते हैं, EVM क्यों नहीं हैक हो सकती? पेजर कनेक्टेड होता है भाई, EVM नहीं। 6 महीने पहले EVM की चेकिंग शुरू होती है। पोलिंग पर ले जाना, वोटिंग के बाद वापस लाना। हर एक स्टेज पर पॉलिटिकल पार्टी के एजेंट या कैंडिडेट मौजूद होते हैं। जिस दिन कमिशनिंग होती है, उस दिन बैटरी डाली जाती है।
- वोटिंग से 5-6 दिन पहले कमिशनिंग होती है। इस दिन सिंबल डाले जाते हैं और बैटरी डाली जाती है। बैटरी पर भी एजेंट के दस्तखत डाले जाते हैं। जब स्ट्रॉग रूम में जाती है, यहां भी 3 लेवल की चेकिंग होती है।
- जिस दिन पोलिंग के लिए निकलेंगी, तब भी यही प्रोसेस होगी। वीडियोग्राफी होगी। नंबर भी शेयर होंगे, ये मशीन बूथ पर जाएगी। फिर चेकिंग होगी, वोट डालकर देखे जाएंगे। पूरे दिन वोटिंग हुई। फिर मशीन लॉक। फिर दस्तखत और हिसाब-किताब होता है।
ECI चीफ ने कहा कि इसे लेकर 20 शिकायतें आई हैं। हम हर सवाल का फैक्चुअल जवाब देंगे। जल्दी देंगे। अगला भी कुछ आएगा, वह भी रुकेगा नहीं।
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