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हरियाणा में तमाम दावों के बाद भी कांग्रेस बुरी तरह हार चुकी है। चुनाव नतीजों वाले दिन सुबह ही जीत की जलेबी बांट चुकी कांग्रेस एक बार फिर सत्ता से दूर रह गई और उसका ठीकरा भूपिंदर सिंह हुड्डा पर फोड़ा जा रहा है। इसके बाद भी हुड्डा गुटबाजी में व्यस्त हैं। कांग्रेसी सूत्रों से जानकारी मिली है कि उन्होंने अपने दिल्ली स्थित आवास पर बुधवार की शाम को मीटिंग बुलाई है। इस बैठक में उनके समर्थक कहे जाने वाले 28 विधायकों के पहुंचने की उम्मीद है। हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा के अब भी इस तरह मीटिंग बुलाने से हलचल तेज हो गई है। अब तक इस पर कुमारी सैलजा या फिर रणदीप सुरजेवाला जैसे नेताओं का बयान सामने नहीं आया है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस मीटिंग में यह चर्चा की जाएगी कि आखिर विधानसभा में नेता विपक्ष का किसे जिम्मा दिया जाए। नेता विपक्ष के तौर पर भूपिंदर सिंह हुड्डा का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है। दरअसल यह मीटिंग भी हुड्डा ने इसीलिए बुलाई है ताकि नेता विपक्ष के पद के लिए दमखम दिखा सकें। उनके समर्थक विधायकों की राय है कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन न किया जाए और यथास्थिति ही रहे। वहीं कुमारी सैलजा मांग कर चुकी हैं कि हरियाणा कांग्रेस में बड़े बदलाव किए जाएं। पिछले दिनों उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा था कि हरियाणा कांग्रेस का संगठन बीते 10 से 12 सालों से एक तरीके से ही काम कर रहा है। अब इसमें बदलाव की जरूरत है।
उनका कहना था कि हरियाणा कांग्रेस के संगठन में बदलाव से ही नई ऊर्जा आएगी। बता दें कि हरियाणा चुनाव के बाद यह पहली मीटिंग है, जो हुड्डा ने बुलाई है। हालांकि यह साफ नहीं है कि इस तरह से शक्ति प्रदर्शन करने पर कांग्रेस हाईकमान का क्या रुख रहेगा। दरअसल हरियाणा चुनाव की पूरी कमान हुड्डा ने ही संभाल रखी थी। कहा जाता है कि उनके कहने पर ही 72 टिकट बांटे गए थे, लेकिन नतीजे आए तो उन पर ही निशाना साधा जाने लगा। प्रचार की कमान भी हुड्डा के हाथ में थी और यहां तक कि राहुल गांधी जैसे वरिष्ठ नेताओं के आयोजन भी उनके ही कहने पर सेट किए गए थे। अब इसी के लिए भूपिंदर सिंह हुड्डा निशाने पर हैं, लेकिन वह नेतृत्व छोड़ने के मूड में नहीं हैं।
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