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जाट बाजार में मीठे करवे तैयार करते हुए कारीगर।
प्रेम, त्याग और विश्वास का पर्व करवा चौथ देशभर में 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। करवा चौथ पर्व को लेकर महिलाओं में अभी से उत्साह का माहौल है। बाजार में भी करवा चौथ को लेकर रौनक बढ़ गई है। हलवाई-कारीगर मीठे करवे बनाने में जुट गए हैं।
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मीठे करवे तैयार करते हुए कारीगर।
मीठे करवों की डिमांड ज्यादा
बाजार में मीठे करवों की डिमांड हमेशा ज्यादा रहती है क्योंकि करवा चौथ के व्रत में इसका खास महत्व है। सीकर के जाट बाजार में बिक्री के लिए कारीगर चीनी के करवे तैयार करने में दिन-रात जुटे हैं। त्योहार पर पूजन के लिए महिलाएं मिट्टी के अलावा चीनी/शक्कर से बने मीठे करवे खरीदती हैं।
दुकान पर तैयार किए गए मीठे करवे।
रिश्तों में मिठास घोलते हैं करवे
दुकानदारों ने बताया- करवाचौथ पर लड़कियों की शादी के पहले साल ससुराल में मीठे करवे भेजने की परंपरा है। यहां पूजा-अर्चना कर मीठे करवे घर-परिवार व रिश्तेदारों में बांटे जाते हैं। कहा जाता है कि मीठे करवे रिश्तों में मिठास घोलते हैं जिससे जिंदगीभर रिश्तों में मिठास बनी रहती है।
करवाचौथ में मिट्टी के करवे का महत्व
करवाचौथ के दिन महिलाएं अभी भी मिट्टी के करवों से चौथ माता की पूजा-अर्चना करती है। लेकिन बदलते समय के साथ-साथ महिलाओं का रुझान चांदी के करवों की ओर भी जा रहा है। लेकिन इस महापर्व पर मिट्टी के बर्तन यानी करवे की पूजा का विशेष महत्व है, महिलाएं चौथ माता की पूजा में करवे का उपयोग करने के अलावा रात को चंद्रदेव को जल अर्पण भी करवे से ही करती हैं।
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