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हरदा की पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट से 11 लोगों की मौत हो गई थी। 217 लोग घायल हुए थे।
हरदा की जिस पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट से 13 लोगों की मौत हुई थी, उसके मालिक राजेश अग्रवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। अग्रवाल की तरफ से कोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया था कि वह किडनी की बीमारी से पीड़ित है और कोलकाता में किडनी ट्रांसप्लांट
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14 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और प्रशांत कुमार गुप्ता की डबल बेंच ने किडनी ट्रांसप्लांट के लिए अग्रवाल की जमानत मंजूर की। कहा कि ठीक 6 महीने बाद यानी अप्रैल 2025 में अग्रवाल को सरेंडर करना होगा।
पीड़ितों को आईटीआई बिल्डिंग में शिफ्ट किया था अग्रवाल को जमानत मिलने के बाद हरदा ब्लास्ट के पीड़ित परिवार कलेक्टर से मिलने पहुंचे। उन्होंने पूछा- फैक्ट्री मालिक को जमानत मिल गई, लेकिन हम लोगों के मकान कब बनेंगे? इन लोगों के मकान फैक्ट्री के पास बने थे, जो ब्लास्ट में पूरी तरह जमींदोज हो गए हैं।
प्रशासन ने इन्हें हरदा की आईटीआई बिल्डिंग में शिफ्ट किया है। पिछले 8 महीने से ये इसी बिल्डिंग में रह रहे हैं। दैनिक भास्कर ने अगस्त के महीने में हरदा पटाखा फैक्ट्री के मालिक राजेश अग्रवाल से भोपाल के हमीदिया अस्पताल में जाकर बातचीत की थी।
उस वक्त अग्रवाल ने कहा था कि फैक्ट्री के पीछे 14-15 मकान पीएम आवास योजना के तहत बनाए गए थे। इसके बाद भी वह मृतकों के परिजन को मुआवजा देने और बाकी पीड़ितों के मकान रिपेयर कराने के लिए तैयार है। हरदा ब्लास्ट के आरोपी को जमानत मिलने के बाद पीड़ित, वकील और प्रशासन का क्या कहना है…पढ़िए रिपोर्ट
आठ महीने से प्रशासन के राहत कैंप में 39 परिवारों के 126 लोग 6 फरवरी 2024 को हरदा की पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट के पीड़ित मुआवजे और मकान की मांग को लेकर पिछले आठ महीने से लड़ाई लड़ रहे हैं। जो पूरी तरह से बेघर हो चुके थे, ऐसे 39 परिवारों के 126 लोगों को अस्थाई तौर पर हरदा की आईटीआई बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया था।
भास्कर की टीम जब यहां पहुंची तो देखा कि एक कमरे में दो से तीन परिवार रहते हैं। चादरों के जरिए कमरों का पार्टीशन किया गया है। इन परिवारों को जब जानकारी मिली कि ब्लास्ट के आरोपी राजेश अग्रवाल की जमानत हो गई है तो वे हरदा कलेक्टर आदित्य सिंह से मिलने पहुंचे।
उन्होंने कलेक्टर से कहा कि आरोपी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। उन्हें न्याय कब मिलेगा, उनके टूटे हुए मकान कब बनेंगे? कलेक्टर ने उन्हें भरोसा दिलाया कि जल्द ही कोर्ट का अंतिम फैसला आ जाएगा।
यहां रह रही क्षमा बाई कहती हैं कि पिछले 8 महीने से केवल एक ही बात सुन रहे हैं कि जल्द फैसला होगा, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ है। आरोपी को तो जमानत मिल गई। हम तो वैसे ही फंसे हुए हैं।
पीड़ित बोले- पेट भर जाता है, मगर मन नहीं लगता यहां रह रहे लोगों के खाने-पीने की व्यवस्था प्रशासन ने की है। उन्होंने बताया- प्रशासन की तरफ से सुबह-शाम टिफिन पहुंच जाता है। यहां खाना बनाने की व्यवस्था नहीं है, मजबूरी में टिफिन का खाना खा रहे हैं। उससे पेट तो भर जाता है, मगर यहां मन नहीं लगता।
हमें कोई ये नहीं बताता कि हमारे मकान कब तक बनाकर दिए जाएंगे। यहां रहने वाले लोगों में से कई ने अपनों को खो दिया है। एक महिला कहती है कि मेरी 35 साल की बेटी की ब्लास्ट में मौत हो गई। हमारा मकान फैक्ट्री के पास ही बना था। दूसरी महिला ने कहा कि पूरी जिंदगी बे-पटरी हो गई है। बच्चे जैसे-तैसे स्कूल जाते हैं। हमें अपना घर होने का एहसास ही नहीं होता।
भूख हड़ताल से लेकर सदबुद्धि यज्ञ तक कर चुके फैक्ट्री में ब्लास्ट के बाद ही पीड़ितों ने शहर के घंटाघर चौक पर धरना और भूख हड़ताल कर सरकार से न्याय की गुहार लगाई गई थी। प्रशासन ने 15 दिन के भीतर सभी पीड़ित लोगों को मुआवजा देने का आश्वासन दिया था।
इसके बाद भी जब मुआवजा नहीं मिला तो लोगों ने सावन के पहले सोमवार को हरदा से हंडिया तक 20 किलोमीटर पैदल चलकर नर्मदा नदी के जल से भगवान रिद्धनाथ का जलाभिषेक किया। सरकार की सद्बुद्धि के लिए यात्रा भी निकाली थी।
भूख हड़ताल में यह थीं प्रमुख मांगें…
- मृतकों के परिजन को 15 और घायलों को 5 लाख रुपए का मुआवजा मिले।
- क्षतिग्रस्त हुए घरों को निर्माण के लिए बाजार भाव से लागत मूल्य दें।
- दिव्यांग और मृतकों के परिजन-आश्रित के लिए रोजगार उपलब्ध कराएं।
- मृतकों के सही आंकड़े जानने के लिए विशेष टीम गठित हो।
- विस्फोट की तीव्रता, विस्फोटकों के प्रकार और अन्य जानकारी के लिए नई और विशेष फोरेंसिक टीम का गठन कर स्वतंत्र लैब में जांच कराएं।
- राजेश अग्रवाल और मुख्य आरोपियों पर दर्ज मामलों में एनएसए, बालश्रम समेत हत्या की अन्य तर्कसंगत धाराएं जोड़ी जाएं।
- एसआईटी और फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन हो। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की अध्यक्षता हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज करें। इसमें पीड़ितों की तरफ से भी प्रतिनिधि शामिल हों।
26 जुलाई को हरदा ब्लास्ट के पीड़ितों ने सद्बुद्धि पदयात्रा निकाली थी।
एडवोकेट बंसल बोलीं- न्याय की लड़ाई लंबी पीड़ितों के पक्ष में कानूनी लड़ाई लड़ने रहीं एडवोकेट अवनि बंसल कहती हैं- मैं पहले दिन से पीड़ितों की लड़ाई लड़ रही हूं। आरोपी को अंतरिम जमानत मिली है तो थोड़ा दुख तो है, मगर हमारी लड़ाई जारी है।
वे बताती हैं कि कोर्ट में दोनों आरोपी राजेश अग्रवाल और प्रदीप अग्रवाल की जमानत को लेकर दो याचिकाएं दायर थीं। हमने जमानत दिए जाने का विरोध किया था। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संभव हो तो आरोपी का किडनी ट्रांसप्लांट भोपाल एम्स में कराया जाए। मगर, अब मेडिकल ग्राउंड को देखते हुए कोर्ट ने जमानत मंजूर की है। दूसरे आरोपी की जमानत याचिका पर अगली तारीख में सुनवाई होगी।
सरकारी कैंप में पीड़ित परिवार पिछले आठ महीने से इस तरह गुजर-बसर कर रहे हैं।
एनजीटी के फैसले पर हाईकोर्ट ने स्टे दिया पीड़ितों को मुआवजा देने के सवाल पर बंसल कहती हैं- ब्लास्ट के बाद एनजीटी ने स्वत: संज्ञान लेते हुए एक अहम फैसला दिया था। इसमें कहा था कि जिन लोगों को ब्लास्ट में गंभीर चोटें आई हैं, उन्हें अंतरिम मुआवजे की जरूरत है। उन्हें बाद में मुआवजा मिलेगा तो इसका कोई मतलब नहीं रह जाएगा। अंतिम मुआवजे का निर्णय सरकार बाद में कर सकती है।
एनजीटी के इस फैसले के बाद हमने मुआवजा देने की मांग पुरजोर तरीके से उठाई लेकिन एनजीटी के इस फैसले पर आरोपियों ने हाईकोर्ट में आपत्ति दर्ज की। हाईकोर्ट ने एनजीटी के फैसले पर स्टे दे दिया। इस स्टे को खारिज करने के लिए हमने हाईकोर्ट में आवेदन दिया।
इस मामले की सुनवाई 45 दिन पहले पूरी हो चुकी है लेकिन अभी तक कोर्ट ने ऑर्डर नहीं दिया है। वे कहती हैं कि हम हर जगह अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं और ये लगातार जारी रहेगी।
कलेक्टर बोले- कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हरदा कलेक्टर आदित्य सिंह का कहना है कि ब्लास्ट के बाद सरकार ने मृतक के परिजन को तत्काल मुआवजे का ऐलान किया था। प्रशासन की तरफ से ये मुआवजा दे दिया गया है। इसके बाद एनजीटी ने गंभीर घायलों को 5 लाख रुपए और मृतकों के परिजन को 15 लाख रुपए देने के आदेश दिए थे।
प्रशासन ने ये कार्रवाई शुरू कर दी थी। आरोपियों की 7 करोड़ की प्रॉपर्टी को सीज किया था। इसमें से 3 करोड़ रु. की प्रॉपर्टी की नीलामी की कार्रवाई भी हो चुकी है लेकिन कोर्ट ने इस पर स्टे दिया है इसलिए कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं।
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फैक्ट्री मालिक बोला-अफसरों को पैसे दिए बिना धंधा नहीं होता
6 फरवरी 2024 को हरदा की पटाखा फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट के चंद घंटे बाद ही पुलिस ने राजेश अग्रवाल और उसके भाई को गिरफ्तार कर लिया था। पिछले 6 महीने से वह भोपाल सेंट्रल जेल में है। मेडिकल चेकअप के लिए उसे अस्पताल लाया जाता है। पूरी रिपोर्ट पढ़ें
हरदा फैक्ट्री ब्लास्ट; 11 मौत, 217 घायल हरदा की पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट से 11 लोगों की मौत हुई है। 217 लोग घायल हो गए, इनमें फैक्ट्री के 51 मजदूर शामिल हैं। 184 लोगों को रेस्क्यू किया गया है। ब्लास्ट के करीब 26 घंटे बाद रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो सका। सीएम ने कहा कि इस मामले में ऐसी कार्रवाई करेंगे कि लोग याद रखेंगे। पूरी खबर पढ़ें…
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