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प्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग में लगातार वृद्धि हो रही है। पिछले चार साल में 24 गुना तक उद्योग धंधे बढ़ गए हैं। गत सरकार में बने नए जिलों में भी ऐसे उद्योगों के 51065 रजिस्ट्रेशन हैं। इससे वहां लोगों को रोजगार भी मिलने लगा है। आंकड़ों के अनुस
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यह देश में करीब 9 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। अब सितंबर 2024 तक प्रदेश में 2115402 रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। यह 2020 के मुकाबले में 24 गुना ज्यादा है। कौशल विकास और ऋण में आसानी से लगातार छोटे उद्योग पनप रहे हैं। इनमें माइक्रो श्रेणी में सबसे ज्यादा 2069895 हैं। स्मॉल श्रेणी में 42112 व मीडियम श्रेणी में सबसे कम 3095 हैं। देश में भी एक साल में ऐसे उद्योग 1.65 करोड़ से बढ़कर 5 करोड़ हो गए हैं।
ऋण, सब्सिडी से मिल रहा प्रोत्साहन
राज्य सरकार एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। ऋण सुविधाएं, सब्सिडी, प्रशिक्षण आदि पर जोर दिया जा रहा है। कौशल विकास के तहत प्रशिक्षण प्राप्त युवा नए उद्यमी बन रहे हैं। उद्योगों को आकर्षित करने के लिए अनुकूल नीतियां भी इसमें कारगर है। जिससे रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। उद्योग पॉलिसी इसी अनुरूप बनाई गई है। गांवों में कृषि भूमि पर इंडस्ट्री लगाने के लिए अब भू परिवर्तन जरूरी नहीं है।
17 जिलों में 50 हजार से ज्यादा यूनिट
राज्य के 50 जिलों में से 17 जिले ऐसे हैं, जहां 50 हजार से अधिक उद्योग धंधे संचालित हो रहे हैं। इनमें जयपुर, जोधपुर, अलवर के साथ साथ उदयपुर, बाड़मेर, चूरू, पाली, कोटा, हनुमानगढ़, नागौर, सीकर, बीकानेर, झुंझुनूं, श्रीगंगानगर शमिल है।
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