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उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने एक बड़ा फैसला लेते हुए बड़े प्रोजेक्ट के फंड को मंजूर करने संबंधी एमसीडी आयुक्त अश्वनी कुमार की शक्तियां दे दी हैं। जानें इस फैसले से क्या बदलेगा?
उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली नगर निगम आयुक्त अश्वनी कुमार को कई बड़े प्रोजेक्ट के फंड को मंजूर करने की शक्तियां दे दी हैं। इस संबंध में दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग की तरफ से आदेश भी जारी कर दिया गया है। स्थायी समिति के गठन होने तक निगम आयुक्त सभी बड़ी परियोजनाओं के फंड को स्वीकृत दे सकेंगे। अब तक निगम के नियम अनुसार आयुक्त को सिर्फ पांच करोड़ रुपये तक के फंड को ही मंजूरी देने की शक्तियां थीं। पांच करोड़ रुपये से अधिक के फंड से जुड़े प्रोजेक्ट को स्थायी समिति में प्रस्तुत किया जाना अनिवार्य होता है। इसके बाद स्थायी समिति में इन प्रोजेक्ट के फंड को मंजूरी मिलती है और फिर प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू होता है।
इन प्रोजेक्ट में आएगी तेजी
निगम के ठोस कचरे के संग्रह और परिवहन के लिए अनुबंध से जुड़े परियोजना के साथ कई प्रोजेक्ट के फंड अब तक लंबित थे। स्थायी समिति के गठन न होने के कारण इन प्रोजेक्ट के फंड को मंजूरी नहीं मिल पा रही थी।
फंड को नहीं मिल पा रही थी मंजूरी
ठोस कचरे के परिवहन व सड़क की सफाई के लिए 1137.98 करोड़ रुपये की राशि का फंड इसमें शामिल हैं। साथ ही नरेला, बवाना में 604.26 करोड़ रुपये की लागत से वेस्ट टू एनर्जी का प्लांट के स्थापना से जुड़ा प्रोजेक्ट के तैयार होने में तेजी आएगी। साथ ही सिंघोला में पुराने कचरे के जैव-खनन के लिए दर अनुबंध, जिसकी राशि 46.17 करोड़ रुपये है। इस प्रोजेक्ट के फंड को भी मंजूरी नहीं मिल पा रही थी।
निगम आयुक्त को फंड को स्वीकृत करने की शक्तियां
ओखला, गाजीपुर और भलस्वा लैंडफिल साइटों में वर्षों से मौजूद पुराने कचरे का जैव-खनन के लिए फंड को भी मंजूरी नहीं मिली थी। इसमें भलस्वा में 156.5 करोड़ रुपये, गाजीपुर में 223.50 करोड़ रुपये और भलस्वा में 223.50 करोड़ रुपये के फंड के तहत जैव खनन की प्रक्रिया को पूरा किया जाना है। अब उपराज्यपाल ने इन बड़े प्रोजेक्ट के फंड को स्वीकृत करने की शक्तियां निगम आयुक्त को दे दी हैं।
सत्ता पक्ष पर एलजी सचिवालय ने साधा निशाना
एलजी सचिवालय ने सत्ता पक्ष पर निशाना साधा है। एलजी सचिवालय ने कहा कि 10 जुलाई को निगम ने दिल्ली सरकार के समक्ष निगम आयुक्त को वित्तीय शक्तियां देने का प्रस्ताव भेजा था। लेकिन शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज ने असामान्य रूप से और बिना किसी स्पष्टीकरण के फाइल को अपने स्तर पर लंबित रखा। इस प्रक्रिया में निगम की सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं क्योंकि स्थायी समिति नहीं थी। एलजी सचिवालय ने नियमों का उपयोग कर फाइल को वापस लिया हालांकि, फाइल अभी तक मंत्री द्वारा भेजी नहीं गई और अब तक उस फाइल का पता नहीं लगा सका है।
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