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नोट- इसी का इस्तेमाल करें। ———————- – हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ
नोट- इसी का इस्तेमाल करें। ———————-
– हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ आजम खां के ट्रस्ट की अपील खारिज
– सरकार के कदम को उचित बताया, छात्रों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था का निर्देश
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की भूमि का पट्टा रद्द करने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले को सही ठहराया। हालांकि, उसने राज्य सरकार और सक्षम प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि संबंधित जमीन पर चल रहे स्कूल के छात्रों को वैकल्पिक उपयुक्त संस्थानों में दाखिला मिले।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली जौहर ट्रस्ट की अपील को खारिज करते हुए यह फैसला दिया। साथ ही कहा कि हाईकोर्ट के फैसले में कोई खामी नहीं है। रामपुर के इस जौहर ट्रस्ट के प्रमुख सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खां हैं। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि 2015 में ट्रस्ट को जमीन आवंटित करने का फैसला, उस समय लिया गया था जब आजम मंत्री थे। उन्होंने जमीन का पट्टा उस निजी ट्रस्ट को दिए जाने की वैधता पर संदेह जाहिर किया, जिसके तत्कालीन मंत्री आजीवन सदस्य हैं। मुख्य न्यायाधीश ने यह टिप्पणी जौहर ट्रस्ट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलों को सुनने के बाद की।
सरकारी संस्थान का पट्टा, निजी ट्रस्ट को कैसे
सिब्बल ने पीठ से कहा कि यूपी सरकार ने बिना नोटिस दिए या उचित कारण बताए, दुर्भावनापूर्ण तरीके से जमीन का आवंटन रद्द कर दिया। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि आपके मुवक्किल (आजम) वास्तव में शहरी विकास मंत्रालय के प्रभारी कैबिनेट मंत्री थे और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री थे। उन्होंने जमीन एक पारिवारिक ट्रस्ट को आवंटित करवाई, जिसके वे आजीवन सदस्य हैं। पट्टा शुरू में एक सरकारी संस्थान के पक्ष में था, जो एक निजी ट्रस्ट से जुड़ा हुआ है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि एक पट्टा जो सरकारी संस्थान के लिए था, उसे निजी ट्रस्ट को कैसे दिया जा सकता है?
पद का दुरुपयोग हुआ
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मामले के तथ्य पद के दुरुपयोग को उजागर करते हैं। जब तथ्य इतने स्पष्ट हैं, तो उचित नोटिस देने से इनकार करना कोई बड़ा उल्लंघन नहीं हो सकता। इस पर सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ट्रस्ट गरीब छात्रों को सस्ती दरों पर शिक्षा मुहैया करा रहा है। उन्होंने कहा कि 18 मार्च, 2023 को छात्रों की परीक्षाएं थीं, लेकिन सरकार ने बिना कारण बताए जमीन आवंटन रद्द करके 14 मार्च को कब्जा ले लिया। यह एक गैर-लाभकारी संगठन है।
300 छात्रों को भी राहत
सिब्बल ने कहा कि सरकार की कार्रवाई से 300 छात्र शिक्षा से वंचित हो गए। फिलहाल उनके पास कोई स्कूल नहीं है। कम से कम सरकार को आदेश दिया जाए कि उन्हें किसी स्कूल में दाखिला दिलाएं। इस पर पीठ ने सरकार को उक्त स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को किसी अन्य स्कूलों में दाखिला सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया।
आवंटन शोध संस्थान के लिए, चला रहे थे स्कूल
यूपी सरकार की ओर से पीठ को बताया गया कि लीज शर्तों के उल्लंघन पर जमीन का आवंटन रद्द किया गया। आजम के मंत्री रहते जौहर ट्रस्ट को 3.24 एकड़ भूखंड का आवंटित किया गया था। संबंधित भूमि मूल रूप से शोध संस्थान के लिए आवंटित की गई थी, लेकिन वहां स्कूल चलाया जा रहा था। सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता को पक्ष रखने का पर्याप्त वक्त दिया गया।
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