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सम्मेलन को संबोधित करते मुख्य अतिथि तरूण सोबती व उपस्थित अतिथिगण।
हरियाणा के कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में वाइस एडमिरल तरूण सोबती ने कहा कि वैश्विक दौर में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है। वर्तमान दौर में जलवायु परिवर्तन, व्यापारिक सुरक्षा तथा सतत् विकास महत्वपूर्ण पहलू हैं। इजरायल, हमास, लेबन
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वे सोमवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंडो-पैसिफिक स्टडीज व भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के इंडो-पैसिफिक डिवीजन के संयुक्त तत्वावधान में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास विषय पर आयोजित दो दिवसीय उच्च स्तरीय तीसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
जलवायु परिवर्तन पूरे विश्व के लिए चुनौती
उन्होंने कहा कि भारत अपनी सक्षम विदेश नीति के माध्यम से विवेकपूर्ण कूटनीतिज्ञ निर्णय लेकर इंडो पैसिफिक क्षेत्र में आ रही चुनौतियों का सामना कर रहा है। श्रीलंका, मालद्वीव आदि देशों पर भारत की कूटनीति का गहरा प्रभाव पड़ा है। आने वाले दिनों में इसके और अधिक सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। जलवायु परिवर्तन पूरे विश्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती है और 2050 तक विश्व के अनेक द्वीप जलमग्न हो जाएंगे, जिनमें भारत से सटे देशों में मालद्वीप भी शामिल है।
उन्होंने कहा कि भारतीय जलसेना सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। पिछले एक दशक में भारतीय जलसेना ने अनेक चुनौतियों का सामना कर जहां एक ओर पड़ोसी देशों की सहायता की है, वहीं पर व्यापारिक जलमार्ग में जहाज़ों को सुरक्षा प्रदान कर नए आयाम स्थापित किए हैं।
वाइस एडमिरल (नेवी)तरूण सोबती को स्मृति चिन्ह प्रदान करते वीसी सोमनाथ सचदेवा।
ये बोले दक्षिण अफ्रीका के उच्चायुक्त भारत में दक्षिण अफ्रीका के उच्चायुक्त प्रो. अनिल सूकलाल ने कहा कि इंडो पैसिफिक क्षेत्र में ग्लोबल सप्लाई चैन पर व्यापारिक दृष्टि से गहरा असर पड़ा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विदेश नीति एवं कूटनीति से भारत ने इंडो पैसिफिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर पूरे विश्व में भारत की गरिमा को बढ़ाने का कार्य किया है। राजदूत संजय पांडा ने कहा कि इंडो पैसिफिक क्षेत्र में वैश्विक व्यापारिक चुनौतियां आज पूरे विश्व के सामने उभर रही हैं। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन पूरे विश्व के सामने एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ रहा है। इंडो पैसिफिक क्षेत्र में ब्लू ओश्यिन के माध्यम से विकास के नए रास्तों को अंजाम दिया जा सकता है।
कनाड़ा के एनआरआई गुलाब सिंह को सम्मानित करते अतिथि।
इस क्षेत्र में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।बॉक्ससमस्याओं एवं चुनौतियों का समाधान कूटनीति से निकाला जा सकता है: वीसीकुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि वर्तमान दौर में विश्व के सामने व्यापारिक एवं जलवायु परिवर्तन की जो चुनौतियां हैं उनके प्रति भारत ने सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर अपने पड़ोसी देशों से आंतरिक संबंधों को मजबूत कर पूरे विश्व को यह संदेश दिया है कि समस्याओं एवं चुनौतियों का समाधान युद्ध में नहीं अपितु कूटनीति से निकाला जा सकता है। इस अवसर पर उन्होंने सभी विदेशी मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय भारत का एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है जो शोध, संस्कृति, खेल में तो अग्रणी है ही इसके अतिरिक्त पूरे भारत में नई शिक्षा नीति लागू करने वाला पहला विश्वविद्यालय भी है।
107वें वार्षिक सम्मेलन के न्यूज लैटर, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन पर आधारित पुस्तक की विषय सूची एवं सार का विमोचन करते अतिथिगण।
चावल बोले- इंडो-पैसिफिक में दुनिया की छह सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ शामिल
वाइस एडमिरल एके चावला ने कहा कि विश्व की 64 प्रतिशत जनसंख्या और 60 प्रतिशत वैश्विक जीडीपी इंडो-पैसिफिक में उत्पन्न होती है, जिसमें दुनिया की छह सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ अमेरिका, चीन, जापान, भारत, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। एडमिरल आरके धवन ने कहा कि कहा कि वर्तमान में इंडो-पैसिफिक सबसे बड़ा व्यापारिक केंद्र बन चुका है। भारत के इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के माध्यम से हर साल दक्षिण चीन सागर से लगभग 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की वाणिज्यिक शिपिंग और ऊर्जा आपूर्ति इस रास्ते से होती है।
दीप प्रज्वलित कर सम्मेलन का शुभारंभ करते मुख्य अतिथि तरुण सोबती, साथ मे हैं वीसी सोमनाथ सचदेवा।
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन पर आधारित पुस्तक की विषय सूची एवं सार का विमोचनमुख्य अतिथि वाइस एडमिरल तरूण सोबती व कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा द्वारा इंडो पैसिफिक सम्मेलन में 107वीं वार्षिक सम्मेलन के न्यूज लैटर, दूसरे अंतरराष्ट्रीय इंडो पैसिफिक सम्मेलन के शोध पत्र व नीतियों एवं तीसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन पर आधारित पुस्तक की विषय सूची एवं सार का विमोचन भी किया गया।
8 देशों के कूटनीतिज्ञों ने दिए व्याख्यान केयू सीनेट हॉल में सोमवार को इंडो-पैसिफिक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास विषय पर अफ्रिका, मलेशिया, फ्रांस, कीनिया, जापान, मॉरिशस, अमेरिका, वितयनाम देशों के कूटनीतिज्ञों ने अपने व्याख्यान दिए। इसके माध्यम से वैश्विक स्तर पर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन एवं सतत विकास विषयों पर भावी योजनाओं एवं परिणामों पर शोधपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत किए गए।
सभी देशों के प्रतिनिधियों का वक्तव्य
फ्रांस – विशिष्ट अतिथि जीन क्लाउड ब्रूनेट ने कहा कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र संपूर्ण विश्व में शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने में अनिवार्य भूमिका अदा कर सकता है। इस क्षेत्र में भारत विशेष भूमिका अदा कर जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर अपनी सकारात्मक भूमिका निभा सकता है।
जापान – सासाकावा पीस फाउंडेशन टोक्यो के अध्यक्ष हाइडे सागाकोची ने कहा कि महासागर क्षेत्र में शांति, सुरक्षा एवं आपसी सहयोग से ही देश प्रगति की ओर अग्रसर होता है। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन ने न केवल समुद्री परिवहन अपितु खाद्य आपूर्ति सहित अन्य संसाधनों को भी प्रभावित किया है। उन्होंने बताया कि जापान देश की नई सरकार द्वारा महासागर कानून लाया गया है जिसके अंतर्गत इस क्षेत्र में सुरक्षा, शांति एवं देशों के बीच आपसी सहयोग पर बल दिया गया है।
यूएसए – शिकाहो गोटो ने कहा कि नीली अर्थव्यवस्था पर विश्व के करोड़ों लोगों का जीवन निर्भर करता है। वैश्विक दौर में नई चुनौतियों का सामना करने में इंडो-पैसिफिक देश पूरे विश्व में अपनी निर्णायक भूमिका अदा कर सकते हैं।
साउथ अफ्रीका – डॉ. नोमवूयो एन. नोखवे ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र संभावनाओं एवं अवसरों से भरा हुआ है। इस दृष्टि से विकास को प्राथमिकता देकर इंडो-पैसिफिक देश गरीब देशों के सामने आ रही चुनौतियों एवं समस्याओं के समाधान में निर्णायक साबित हो सकते हैं।
मॉरिशस – मॉरिशस यूनिवर्सिटी के कुलपति संजीव के सोभी ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र से संबंधित बहुत सारी चुनौतियां हैं जैसे कि अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति, बढ़ती हुई प्रतियोगिता, शक्तियों के बीच में टकराव इत्यादि।
इटली – प्रो. फ्रांसिसिको डि पाओला ने कहा कि वर्तमान में जलवायु परिवर्तन पूरे विश्व के लिए बड़ी समस्या बन चुका है, जिसके कारण 1.5 डिग्री तापमान बढ़ा है, इसलिए प्रत्येक देश को कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने की जरूरत है।
इंडोनेशिया – फिरदोस दहलान ने इंडो-पैसिफिक के क्षेत्र की महत्ता के बारे में बताते हुए कहा कि भारत के पड़ोसी देश आपसी सौहार्द से ओशियन समस्याओं का समाधान निकाल सकते हैं। इसमें भारत केन्द्र में रहकर पूरे विश्व में नई भूमिका अदा कर सकता है।
दक्षिण अफ्रीका – पूर्व महासचिव इओरा एवं दक्षिण अफ्रिका के पूर्व उच्चायुक्त डॉ. नोम्वुयो एन नोक्वे ने कहा कि महासागरों में शांति स्थापना के लिए भारत विदेशी जहाजों को सुरक्षा प्रदान व्यापार के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु एवं सतत विकास के मुद्दों पर इंडो-पैसिफिक देश एक मंच पर आकर वैश्विक समस्याओं का समाधान निकाल सकता है।
सम्मेलन में एनआरआई गुलाब सिंह को किया सम्मानित अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में बतौर अतिथि पहुंचे कनाड़ा के एनआरआई गुलाब सिंह ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की विदेश नीति पूरे विश्व में रंग ला रही है। श्रीलंका, वियतनाम, थाइलैंड, मालद्वीप के साथ-साथ कनाड़ा के साथ भी भारत के संबंध सुधरे हैं। सार्क देशों के कनाड़ा में प्रभारी रहे गुलाब सिंह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के छात्र नेता एवं खिलाड़ी रहे हैं। वर्तमान में वे कनाड़ा में विपक्ष के नेता सलाहकार के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। इससे पूर्व हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के राजनीतिक सलाहकार की भूमिका निभा चुके हैं। सम्मेलन में गुलाब सिंह को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
ये रहे मौजूद इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा, डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. दिनेश कुमार, निदेशक प्रो. वीएन अत्री, प्रो. एसके चहल, प्रो. अशोक चौहान, प्रो. अमित लूदरी, प्रो. ब्रजेश साहनी, प्रो. तेजेन्द्र शर्मा, प्रो. प्रीति जैन, प्रो. संजीव बंसल, प्रो. अनिल मित्तल, लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया, उप-निदेशक डॉ. जिम्मी शर्मा, डॉ. हेमलता शर्मा, डॉ. अर्चना चौधरी, डॉ. प्रिया शर्मा, डॉ. नीरज बातिश सहित भारी संख्या में शिक्षक, शोधार्थी व विद्यार्थी मौजूद थे।
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