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ग्वालियर सहित प्रदेशभर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए सीएलसी (कॉलेज लेवल काउंसलिंग) राउंड की प्रक्रिया जारी है। सीएलसी सेकंड राउंड के तहत 16 अक्टूबर तक रजिस्ट्रेशन होंगे। वहीं, जिन कॉलेजों में स्टूडेंट्स प्रवेश लेना चाहते हैं, वहां 15-16 अक
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इस वर्ष इंजीनियरिंग सीटों की मांग में वृद्धि देखी गई है। प्रदेशभर में 55,000 सीटों में से 42,000 से अधिक सीटें पहले ही भरी जा चुकी हैं। इस बार सीएलसी राउंड में बड़ी संख्या में छात्रों ने प्रवेश लिया है। जीवाजी यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग संस्थान सहित शहर के सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में अलग-अलग ब्रांच में अभी सीटें खाली हैं।
डिमांड में सीएस और आईटी ब्रांच
बीई-बीटेक में इस साल एआई, डेटा साइंस से जुड़े नए स्पेशलाइजेशन शुरू हुए हैं, लेकिन डिमांड के मामले में इस बार भी टॉप पर कम्प्यूटर साइंस व आईटी ही है। मैकेनिकल, सिविल, बॉयो मेडिकल, बॉयो केमिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग जैसी ब्रांच की भी डिमांड बरकरार है। एआई व डेटा साइंस से जुड़ी ब्रांच में भी सीटें 70 प्रतिशत तक भर गई हैं। कुछ कॉलेजों में तो कम्प्यूटर साइंस व आईटी ब्रांच के लिए वेटिंग है।
कॉलेज या ब्रांच? प्राथमिकता देना बनी चुनौती
छात्रों के लिए एक बड़ी चुनौती यह है कि वे कॉलेज को प्राथमिकता दें या ब्रांच काे? जानकारों का कहना है कि ज्यादातर छात्रों के सामने सीएलसी राउंड में यह स्थिति बन रही है कि टॉप कॉलेजों में एडमिशन तो मिल रहा है, लेकिन पसंद की ब्रांच नहीं मिल पा रही। वहीं मीडियम कॉलेजों में ब्रांच पसंद की मिल रही है लेकिन वहां प्लेसमैंट को लेकर स्थिति संतोषजनक नहीं है।
एडमिशन लेट होने से पहले सेमेस्टर के एग्जाम देर से होंगे इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश की प्रक्रिया अगस्त में शुरू हुई थी। लगभग ढाई माह होने को है। ऐसे छात्र जो सीएलसी राउंड में प्रवेश ले रहे हैं। वे पढ़ाई में पिछड़ेंगे। ऐसे में बीई-बीटेक में प्रवेश लेने वाले छात्रों की पहले सेमेस्टर की परीक्षाएं जो दिसंबर में होती हैं, वे फरवरी से पहले नहीं हो पाएंगी।
अगस्त में छात्रों को उनके जेईई मेंस के स्कोर के आधार पर कॉलेज व ब्रांच अलॉट हुए थे। अब छात्रों को 12वीं के अंकों के आधार पर भी अलॉटमेंट मिल रहा है। प्रदेशभर की करीब 55 हजार सीटों के लिए यह काउंसलिंग चल रही है। ग्वालियर सहित प्रदेशभर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में अभी लगभग 13 हजार सीटें खाली हैं, जिनमें प्रवेश के लिए दो चरण अभी होने बाकी हैं। इन दो चरणों में कम से कम 8 हजार सीटें और भरने का अनुमान है।
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