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मन्नतों की पूर्ति के लिए जाना जाता है चतरा का यह मंदिर
चतरा के प्रसिद्ध तीर्थस्थल लेंबोइया पहाड़ी मंदिर में दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। यह मंदिर मन्नतों के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थल सिद्ध पीठ के रूप में चर्चित है। मान्यता है कि लेंबोईया पहाड़ी में देवी सती के वाम नेत्र की पलकें गिरी हैं। काला
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काले पत्थरों से बनी है प्रतिमा
पहाड़ी की चोटी में मां भगवती की प्रचंड मुद्रा में भव्य व दुर्लभ काले पत्थरों से प्रतिमा बनी है। प्रतिमा आठवीं से दसवीं शताब्दी की बताई जाती है। इस मंदिर की खोज चरवाहों ने की थी। मां की प्रतिमा रण क्षेत्र में युद्ध करते हुए प्रचंड मुद्रा में है।
मां की प्रतिमा में तीन मस्तक और सात नेत्र हैं। यहां मां की पूजा वैष्णव विधि से की जाती है। सुबह से शाम तक यहां मां की आराधना की जाती है। वैसे तो सालों भर यहां श्रद्धालु पहुंचते हैं लेकिन शारदीय व वासंतिक नवरात्र में यहां भारी भीड़ उमड़ती है। दूर दराज से सैकड़ों लोग यहां पहुंच कर कलश स्थापना कर मां की आराधना करते हैं।
नवरात्र में होती है खासा भीड़ नवरात्र के दिनों में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ देखते ही बनता है। प्राचीन मंदिर के स्थान पर प्रबंधन समिति एवं ग्रामीणों द्वारा भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है। इस मंदिर में कई बार प्रतिमा को चोरी करने का प्रयास किया गया लेकिन प्रतिमा को आज तक कोई ले नहीं जा पाया।
आसपास के ग्रामीण मां दक्षिणेश्वरी को कुलदेवी के रूप में पूजा करते हैं। यह मंदिर चतरा जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर पूरब दिशा में पत्थलगड़ा – हजारीबाग मुख्य सड़क के किनारे है। मां का मंदिर दक्षिण मुखी है। यहां मां की पूजा दक्षिणेश्वरी देवी चामुंडा के नाम से होती है।
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