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विजयादशमी के पर्व पर रावत त्रिभुवन सिंह की मौजूदगी में राजपूत समाज की ओर से पथ प्ररेणा यात्रा शनिवार को सुबह 9 बजे निकाली गई। इससे पहले गढ़ मंदिर स्थित नागणेच्या माता मंदिर में विधि-विधान से पुराने व आधुनिक शस्त्रों की पूजा की गई।
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पंडित ने मंत्रोच्चार के साथ पूजन करवाया गया। पथ प्रेरणा यात्रा में केसरिया साफा पहने पारंपरिक वेशभूषा में युवा और समाज के लोग शामिल हुए। शहर के मुख्य मांगों से होते हुए यात्रा राणी रूपादे संस्थान पहुंची। वहां पर सभा में तब्दील हो गई।
दरअसल, पौराणिक सभ्यता व संस्कृति को जीवित रखने के लिए हर साल विजयादशमी के पर्व पर राजपूत समाज की ओर से पथ प्रेरणा यात्रा निकाली जाती है। शनिवार को रावत त्रिभुवन सिंह के सानिध्य में सुबह 9 बजे गढ़ स्थित नागणेची माता मंदिर से रवाना हुई।
हाथ में भाले और तलवार लिए घोड़ों पर बैठे ध्वजवाहक इस यात्रा की अगवानी कर रहे थे। इसके बाद में केसरिया ध्वज हाथ में लिए राजपूत बोर्डिंग के स्टूडेंट् पहले दल का नेतृत्व कर रहे थे।
ढोल नगाड़ों के साथ रवाना हुई पथ प्रेरणा यात्रा।
इसके बाद सैकड़ों लोग पारंपरिक वेशभूषा में इस ऐतिहासिक यात्रा को आकर्षक हुए चल रहे थे। साथ ही सैकड़ों युवा अनुशासित रूप से इस ऐतिहासिक पथ प्रेरणा यात्रा में केसरिया साफा पहने हाथ में केसरिया ध्वज लेकर शामिल हुए। यात्रा का शहर में 100 से अधिक जगहों पर स्वागत द्धार व पुष्प वर्षा की गई।
रावत बोले- शस्त्र पूजन हमारी पौराणिक मान्यता
रावत त्रिभुवन सिंह ने बताया- शस्त्र पूजन हमारी पौराणिक मान्यता है, सदियों से हमारे पूर्वज समाज और देश की रक्षा का जिम्मा संभाले हुए हैं। शस्त्र व शास्त्र एक इंसान के दोनों महत्वपूर्ण है। आज के वक्त में जब भी भारत की बात की जाती है तो भारत को उसके इतिहास और पुराने गौरव के लिए जाना जाता है।
आज जब भारत आगे बढ़ रहा है। सबसे पहली चीज जो हम छोड़ रहे है ऐतिहासिक चीजों और कल्चर को छोड़ रहे हैं। मुझे लगता है कि हमें भारत को आगे लेकर जाना है परंतु साथ ही हमें हमारी ऐतिहासिक चीजों को जीवित रखना चाहिए। हमें कोशिश करनी चाहिए हमारे महत्व की चीजों और कल्चर को नहीं भूलें।
गढ़ मंदिर में शस्त्र पूजा के बाद निकली यात्रा।
मुख्य मार्गों से निकली पथ प्रेरणा यात्रा
पथ प्रेरणा यात्रा नागणेची माता मंदिर से निकलकर, हनुमान मंदिर, गांधी चौक, मुख्य बाजार, अहिंसा सर्किल, किसान बोर्डिग, विवेकानंद सर्किल, किसान बोर्डिग, विवेकानंद सर्किल, राय कॉलोनी, पांच बत्ती सर्किल, तनसिंह सर्किल होते हुए राणी रूपादे संस्थान में सभा में तब्दील हुई।
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