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डेजी ईरानी ने कहा रतन टाटा महिलाओं को आर्थिक रूप से सबल बनाने के पक्षधर थे। वे टैलेंटेड महिलाओं को कंपनी से जोड़ने पर जोर देते थे। उदारीकरण के बाद कंपनी जब स्टेबल हो गई तो वे महिला कर्मचारियों के साथ अधिकारियों की संख्या बढ़ाने पर विशेष जोर दिया। उन्
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दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में टाटा स्टील के पूर्व एमडी डॉ. जमशेद जे. ईरानी की पत्नी डेजी ईरानी ने बताया – महिलाओं को 25 फीसदी की हिस्सेदारी देने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कंपनी की ओर से देशभर के आईआईटी, एनआईटी समेत बड़े संस्थानों से आम स्टूडेंट्स के साथ महिलाओं के विशेष आयोजन के तहत कंपनी में नौकरी दी जा रही है। आज देश ही नहीं बल्कि दुनिया की कामकाजी महिलाओं की पहली पसंद टाटा स्टील है।
वर्ष 1992 में टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक के रूप में डॉ. ईरानी व रतन टाटा, जो एक साल से भी कम समय से टाटा स्टील के चेयरमैन थे, 1991 में भारत के आर्थिक उदारीकरण के बाद नए टाटा स्टील के संस्थापक थे। मैं अपने पति और रतन टाटा के अधिकतर फैसलों को सुनती और समझने का प्रयास करती। रतन टाटा की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वे आने वाले संकट को पहले भांप लेते थे और उसके समाधान पर काम करते थे। रतन टाटा प्रबंधन व कर्मचारियों के बीच बेहतर संबंध रहे। इसका विशेष ख्याल रखते थे। वे अक्सर कहते थे जो मजदूर कंपनी में काम करते हैं वे हमारे अपने हैं। उनके हर सुख दुख में साथ रहना है। रतन टाटा की दूरदर्शी सोच की देन है कि वर्ष 1991 में प्रतिस्पर्धी व अस्थिर के रूप में देखे जाने वाले टाटा स्टील वर्ष 2001 में एक शानदार कंपनी के रूप में स्थापित हुई। इसमें रतन टाटा की बड़ी भूमिका थी। -पेज 7 भी देखें
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