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पिता के नक्शे कदम पर चल बना नक्सली
कहते हैं कि हर पुत्र को अपने पिता की विरासत मिलती है। पुलिस मुठभेड़ में मारा गया नक्सली हरेंद्र गंझू को भी अपने पिता से विरासत में हथियार मिला था। मारा गया नक्सली हरेंद्र गंझू सदर थाना क्षेत्र के मोकतमा पंचायत के कारी देवरिया गांव निवासी बुधन गंझू का
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बुधन गंझू भी अपने समय का दुर्दांत नक्सली रहा है। लगभग एक डेढ़ वर्ष पूर्व ही बुधन गंझू आजीवन कारावास की सजा काट कर जेल से बाहर निकला है। जेल से बाहर निकलने के बाद वह अपने गांव में जीवन बसर कर रहा है। बुधन गंझू का आपराधिक इतिहास भी काफी लंबा चौड़ा रहा है। हरेंद्र गंझू की कहानी सामने आने के बाद उसके पिता बुधन गंझू भी चर्चा में आ गया है।
नक्सली हरेंद्र के विरुद्ध दर्ज थे 48 मामले चतरा पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए टीएसपीसी का सब जोनल कमांडर हरेंद्र गंझू के विरुद्ध चतरा जिले के विभिन्न थानों में 48 मामले दर्ज थे। वह पुलिस के लिए नासूर बना हुआ था। पुलिस को काफी लंबे अरसे से उसकी तलाश थी। पिछले एक वर्षों में पुलिस के साथ हरेंद्र गंझू दस्ते का कई मुठभेड़ हुआ। लेकिन सभी में हरेंद्र गंझू पुलिस को चकमा देकर भागने में सफल रहता था। लेकिन बुधवार की शाम सदर थाना क्षेत्र के गनियोतरी जंगल में हुई मुठभेड़ में वह पुलिस से नहीं बच पाया। पुलिस की गोली से वह ढेर हो गया।
हरेंद्र गंझू सदर थाना क्षेत्र के मोकतमा पंचायत के कारी देवरिया गांव का रहने वाला था। इसके विरुद्ध चतरा जिले के चतरा, हंटरगंज, वशिष्ठ नगर, इटखोरी, कुंदा, प्रतापपुर, गिद्धौर, पिपरवार, राजपुर, टंडवा तथा हजारीबाग जिले के केरेडारी, विष्णुगढ़, कटकमसांडी थाना में मामला दर्ज था। जबकि मुठभेड़ में मारा गया एक अन्य नक्सली ईश्वरी गंझू के विरुद्ध आठ से अधिक मामले जिले के विभिन्न स्थानों में दर्ज था। ईश्वरी गंझू कुंदा थाना क्षेत्र के भटकुईया कारीमांडर गांव का रहने वाला था। इसके विरुद्ध सभी मामले कुंदा व लावालौंग थाना में दर्ज था।
10 लोगों को एक साथ भून डाला
बुधन गंझू के नाम के साथ चतरा जिले का एकलौता और अब तक का सबसे बड़ा नरसंहार जुड़ा हुआ है। नरसंहार की यह घटना छह सितंबर 1997 की है। उस समय चतरा में भाकपा माओवादियों की हुकूमत चलती ता था। बुधन गंझू अपने क्षेत्र में भाकपा माओवादियों के उग्रवादियों को लीड करता था। राजपूर थाना क्षेत्र के अति उग्रवाद प्रभावित आमकूदर गांव में भाकपा माले के कुछ नेता मेघन गंझू के जमीन विवाद के निपटारा के लिए ग्रामीणों के साथ बैठक कर रहे थे।
इसी दौरान भाकपा माओवादी उग्रवादियों का दस्ता बैठक स्थल पर पहुंचा और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दिया। इस घटना में 10 ग्रामीण मारे गए थे। बुधन गंझू इस नरसंहार का मुख्य आरोपी बनाया गया था। नरसंहार के इसी मामले में न्यायालय ने बुधन गंझू को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हजारीबाग सेंट्रल जेल में अपना आजीवन कारावास की सजा काटने के बाद वह जेल से छूटकर बाहर आया है।
दो माह का दिया था अल्टीमेटम, पहले ही मार गिराया
चतरा पुलिस ने टीएसपीसी के सब जोनल कमांडर हरेंद्र गंझू को सरेंडर करने के लिए दो माह का अल्टीमेटम दिया था। बीते 10 अगस्त को चतरा एसडीपीओ संदीप सुमन के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम हरेंद्र गंझू के कारी देवरिया गांव स्थित उसके घर में जाकर इश्तिहार चिपकाए था। इस इश्तहार में पुलिस ने हरेंद्र गंझू को दो माह के अंदर सरेंडर करने अन्यथा पुलिसिया कार्रवाई में मार गिराने की बात कही गई थी। यह संयोग ही है कि इश्तिहार चिपकाने के ठीक एक माह और 29 वें दिन में नौ अक्टूबर को चतरा पुलिस ने उसे मार गिराया।
सदर अस्पताल से ले गांव ले गए शव बुधवार की देर शाम मुठभेड़ की घटना में मारे जाने के बाद नक्सली हरेंद्र गंझू और ईश्वरी गंझू का शव देर रात को ही घटना स्थल से लाकर सदर अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस में रखा गया। गुरुवार की दोपहर तक मृतकों का शव लेने के लिए कोई नहीं पहुंचा। लगभग 2:00 बजे हरेंद्र गंझू के पिता बुधन गंझू सदर अस्पताल पहुंचे और अपने बेटे का शव रिसीव कर अंतिम संस्कार के लिए घर ले गया। लगभग शाम 5:00 बजे ईश्वरी गंझू के चाचा दो-तीन ग्रामीणों के साथ सदर अस्पताल पहुंचकर शव रिसीव किया और घर ले गए।
मुठभेड़ में नक्सली गोपाल जख्मी पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में एक नक्सली गंझू जख्मी हुआ है। जिसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार नक्सली गोपाल गंझू वशिष्ठ नगर थाना क्षेत्र के गुबे गांव निवासी पेरू गंझू का पुत्र है। मुठभेड़ के दौरान भागने के क्रम में वह गिरकर जख्मी हो गया था। इसके कारण उसके पैर में गंभीर चोट आई है।
इसके बाद वह पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तारी के बाद उसका इलाज सदर अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था के बीच कराया जा रहा है। नक्सली गोपाल गंझू के विरुद्ध आधा दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं। उसके विरुद्ध राजपुर, इटखोरी और वशिष्ठ नगर थाना में मामला दर्ज है।
मुठभेड़ के बाद एक-47 कट्टा व कारतूस बरामद मुठभेड़ के बाद पुलिस ने नक्सलियों का कई हथियार बरामद किया है। पुलिस ने नक्सलियों का एक एक-47 राइफल, एक देसी कट्टा, एक-47 का तीन जिंदा कारतूस, 315 बोर का एक मिसफायर गोली, कई खोखा, एक मोटरसाइकिल, चार मोबाइल सहित अन्य घरेलू प्रयोग का सामान बरामद किया है।
क्या कहते हैं डीजीपी डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कहा कि चतरा पुलिस ने चतरा के लिए आतंक बने हरेंद्र गंझू और उसके दस्ता के एक सदस्य को मार गिराया है। हरेंद्र गंझू ने पुलिस पर गोली चलाने का दुसाहस किया था। इसकी कीमत उसे जान देकर चुकानी पड़ी। उन्होंने कहा कि इस अभियान में शामिल सभी पुलिस अधिकारियों और जवानों को रिवॉर्ड देकर सम्मानित किया जाएगा। डीजीपी ने कहा कि झारखंड में चाईबासा के कुछ इलाकों को छोड़कर कहीं भी नक्सली नहीं बचे हैं।
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