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दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण के विभिन्न कारणों के लिए सीएक्यूएम ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि हर मौसम के लिए अलग नीति की आवश्यकता है। पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन पुराने वाहनों की…
नई दिल्ली। विशेष संवाददाता वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि दिल्ली एनसीआर में हर मौसम में वायु प्रदूषण के लिए अलग-अलग कारण जिम्मेदार है, इसलिए इससे निपटने के लिए हर अवधि के लिए अलग-अलग नीति अपनाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में आयोग ने कहा है कि ‘सर्दियों दिनों में, खासकर अक्टूबर के अंत और नवंबर माह में जहां पहले से ही प्रदूषण के बढ़ोतरी की संभावना रहती है, वहीं, इस अवधि में पराली जलाना मुख्य चिंता का कारण बन जाता है। इसी तरह गर्मियों के दौरान शुष्क परिस्थितिया और तेज हवाएं भारी मात्रा में महीन धूल लाती हैं और प्रदूषण का कारण बन जाती है।
आयोग ने प्रदूषण वायु प्रदूषण को नियंत्रण उठाए गए और जा रहे कदमों की जानकारी देते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि ‘इसलिए प्रदूषण निवारण रणनीतियों और उपायों को वर्ष की विभिन्न अवधि में तदनुसार संरेखित करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, आयोग ने शीर्ष अदालत से कहा है कि पिछले तीन सालों में खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब में 2021 में 71304 पराली जलाने की घटना की तुलना में 2023 में 36,663 घटनाएं यानी 48.6 फीसदी की कमी आई है। जबकि और हरियाणा 2021 में 6,987 से घटकर 2023 में सिर्फ 2,303 पराली जलाने की घटना हुई यानी 67 फीसदी कमी आई।
हालांकि अपने हलफनामे में सीएक्यूएम ने इस बात पर चिंता जताई है कि पुराने और अपनी उम्र को पूरा कर चुके वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने में दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश ने समुचित कदम नहीं उठाया है। हलफनामा में कहा गया है कि दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पुराने और अपनी उम्र पूरा कर चुके वाहनों को हटाने की कार्रवाई संतोषजनक स्थिति से कोसों दूर है। साथ ही कहा है कि ऐसे वाहनों को जब्त करने के लिए अधिकारियों की ओर से साफ तौर पर सुस्ती देखी जा रही है। आयोग ने शीर्ष अदालत को को बताया है कि दिल्ली में पुराने या उम्र पूरा कर चुके 59 लाख 28 हजार 675 वाहन हैं, लेकिन 2023 में 22,397 और जून 2024 तक में महज 308 को जब्त किया गया। इसी तरह हरियाणा में 27 लाख 50 हजार उम्र पूरा कर चुके पुराने वाहन है लेकिन 2023 में महज 220 और जून 2024 तक सिर्फ 137 को जब्त किए गए थे। साथ ही कहा कि यही स्थिति उत्तर प्रदेश में है जहां 11 लाख 80 हजार पुराने वाहन हैं 2023 में 3,058 वाहनों और जून 2024 तक में 537 वाहनों को जब्त किया।
आयोग ने शीर्ष अदालत में दाखिल अपने हलफनामा में कहा है कि एनसीआर में शामिल राज्य प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को दंडित करने में अधिक सक्रिय रहे हैं। दिल्ली ने 2023 में 1.64 लाख चालान जारी किए और 2024 के पहले छमाही में यह संख्या बढ़कर 1.82 लाख हो गई। इसी तरह हरियाणा 2023 में पीयूसी के बगैर चल रहे 11,135 वाहनों का चालान किया, जबकि 2024 में 91,266 वाहनों को दंडित किया। कोर्ट को बताया गया है कि इस अभियान राजस्थान के अधिकारी सुस्त दिखाई दे रहे है। राजस्थान में पुलिस ने 2023 में प्रदूषण फैलाने वाले 6,154 वाहनों का चालान किया, जबकि और 2024 के पहले छह माह में 5,502 और वाहनों को दंडित किया।
आयोग ने यह यह हलफनामा सुप्रीम कोर्ट से 3 अक्टूबर को मिली फटकार के बाद दाखिल किया है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए पराली जलाने की घटनाओं को नियंत्रित करने में विफल रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को आड़े हाथ लिया था। शीर्ष अदालत ने आयोग के कामकाज करने के तरीके पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि उसने पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए अपने ही निर्देशों को लागू करने का कोई प्रयास नहीं किया है।
जस्टिस अभय एस ओका, अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा था कि आयोग सिर्फ बैठकें बुलाता रहा, लेकिन निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की। पीठ ने कहा कि जमीनी स्तर पर पराली जलाने पर रोक लगाने के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने को लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
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