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Europa Clipper spacecraft: 10 अक्टूबर को नासा बृहस्पति के चौथे सबसे बड़े चंद्रमा यूरोपा के लिए एक नया मिशन लॉन्च कर रहा है. यूरोपा क्लिपर नाम का यह अंतरिक्ष यान चंद्रमा की डिटेल्ड स्टडी करेगा. इसके साथ ही उन संभावित जगहों की खोज करेगा, जहां यूरोपा पर एलियन जीवन हो सकता है. इस यूरोपा क्लिपर मिशन का मकसद यह पता लगाना है कि क्या यूरोपा पर जीवन हो सकता है या नहीं,
1610 में गैलीलियो गैलीली ने यूरोपा की खोज की थी, जो लंबे समय से यह साइंटिस्टों को आकर्षित करता रहा है. वैज्ञानिकों को पता चला है कि यूरोपा मोटे बर्फीले खोल के नीचे बड़ा ओसियन है. स्पेसक्राफ्ट फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से SpaceX Falcon हेवी रॉकेट से अपनी यात्रा शुरू करेगा.
5 बिलियन डॉलर की लागत से बना ये स्पेसक्राफ्ट
उड़ान भरने के बाद यह सबसे पहले मंगल ग्रह की ओर जाएगा. 27 फरवरी 2025 को ग्रेविटी की मदद से अपनी स्पीड बाढ़ाएगा और पृथ्वी के तरफ आएगा. वहीं, दिसंबर 2026 में एक बार फिर पृथ्वी के ग्रेविटी की मदद से यह हाई स्पीड से बृहस्पति की ओर लॉन्च किया जाएगा. यूरोपा क्लिपर 11 अप्रैल 2030 तक बृहस्पति तक पहुंचेगा. बता दें कि इस स्पेसक्राफ्ट को बनाने में 5 बिलियन डॉलर की लागत आई है.
लगभग एक साल का लगेगा समय
साइंटिस्टों ने जर्नल ऑफ गाइडेंस, कंट्रोल एंड डायनेमिक्स में छपे एक पेपर में बताया है कि यह 11 अप्रैल 2030 को बृहस्पति के करीब पहुंचेगा. बृहस्पति एक गैसीय प्लेनेट है यह बृहस्पति की एक लंबी लूपिंग ऑर्बिट में प्रवेश करेगा.
कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय में एटमोस्फियरिक एंड स्पेस फिजिक्स लेबोरेटरी के अनुसार, इसे अपनी ऑर्बिट को एडजस्ट करने में 1 साल का समय लगेगा. यूरोपा के करीब से यह लगभग 50 बार चक्कर लगाएगा. वहीं, फ्लाईबाई के जरिए वैज्ञानिकों को चंद्रमा की बर्फ, समुद्र की संभावित गहराई और रहने की क्षमता का एनालिसिस करने का मौका मिलेगा.
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