संजय चेतन
चोपन। रेलवे रामलीला के आठवें दिन रामलीला में कलाकारों ने कैकेयी-मंथरा संवाद, दशरथ-कैकेयी संवाद, राम, सीता और लक्ष्मण के वन गमन एवं राजा दशरथ के वियोग का मंचन किया । कैकेयी ने राजा दशरथ से दो वरदान के रूप में भरत को राजगद्दी व राम को चौदह वर्ष का वनवास मांगने पर राजा दशरथ को हुई विरह वेदना की प्रस्तुति से पंडाल में उपस्थित लोगों की आंखों में आंसू आ गए।कलाकारों ने श्रीराम के राजसी वेश भूषा को त्याग साधु वेश धारण कर वन जाने का दृश्य प्रस्तुत किया गया तो दर्शक भाव विभोर हो उठे। जब राम सीता व लक्ष्मण वन जाने लगे तो सारी अयोध्या शोकाकुल होकर राम को वन जाने से रोकने के लिए हाथ जोड़कर उनसे अनुनय विनय किया । राजा जनक और महाराज दशरथ के बीच में कोई लेनदेन की परिपाटी नहीं थी। कन्या सौंपने वाला व्यक्ति श्रेष्ठ माना जाता था। उन्होंने उपस्थित लोगों से दहेज जैसी कुप्रथा को समाप्त करने में सहभागी बनने की अपील की। इस अवसर पर रामलीला समिति के अध्यक्ष सत्यप्रकाश तिवारी, प्रदीप अग्रवाल, राजन जायसवाल, आशीष सिंह रामाश्रय जायसवाल, सुशील पांडेय, धर्मेन्द्र जायसवाल, अंकित पांडेय, राजू चौरसिया, जितेंद्र जायसवाल, तीर्थराज शुक्ला, श्यामनारायण दुबे इत्यादि लोग उपस्थित रहे।