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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने राजस्थान के राष्ट्रीय राजमार्गों पर बेसहारा पशुओं के कारण हो रही दुर्घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHI) के चेयरमैन को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। यह आदेश पाली के समाजसेवी औ
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अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता निखिल व्यास ने राजस्थान के राष्ट्रीय राजमार्गों पर हो रही दुर्घटनाओं का मुद्दा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष रखा। शिकायत में कहा लिखा कि राजमार्ग प्राधिकरण और सरकारी अधिकारियों की लापरवाही से बेसहारा पशु, विशेषकर गाय और नंदी, सड़कों पर घूमते हैं, कई जने इनकी चपेट में आकर घायल हो रहे है तो कईयों की मौत भी हो चुकी है। हाइवे पर भी मवेशियों के बैठे रहने से हादसे हो रहे है। यह जनहित याचिका मुख्य रूप से उन बेसहारा पशुओं पर केंद्रित थी, जो राष्ट्रीय राजमार्गों पर दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण बने हुए हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दिखाई सख्ती आयोग ने इस गंभीर स्थिति पर ध्यान देते हुए एनएचएआई को निर्देशित किया कि वह अगले 8 सप्ताह के भीतर बेसहारा पशुओं की समस्या का समाधान निकाले। आयोग ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता निखिल व्यास को इस प्रक्रिया में शामिल किया जाए और हर कदम पर उन्हें जानकारी दी जाए। आयोग ने यह भी स्पष्ट कहा कि यदि तय समयसीमा के भीतर कार्रवाई नहीं होती है तो इस मामले में और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सड़क हादसों में जान गंवा रहे लोग राजस्थान में राष्ट्रीय राजमार्गों पर बेसहारा पशुओं के कारण हो रही दुर्घटनाओं का आंकड़ा बेहद चिंताजनक है। रिपोर्टों के अनुसार, पिछले पांच सालों में अकेले राजस्थान के प्रमुख राजमार्गों पर हजारों दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें से सैकड़ों मौतें बेसहारा गायों और नंदियों से टकराने के कारण हुई हैं। इसके अलावा कई हजार लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। अधिकांश दुर्घटनाएं रात के समय होती हैं जब ये बेसहारा पशु अचानक सड़क पर आ जाते हैं या रात के अंधेरे में वाहन चालकों को नजर नहीं आते।
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