[ad_1]
इंदौर से गांधी नगर के बीच चलने वाली शांति एक्सप्रेस (19310-19309) में अब LHB (लिंक हॉफमेन बुश) कोच लगेंगे। इस ट्रेन के सभी 22 ICF (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री) कोच LHB से बदल जाएंगे। यह बदलाव 1 फरवरी 2025 से लागू होगा। इस ट्रेन में 1 फर्स्ट एसी, 2 सेकेंड ए
.
इस बारे में बुधवार को रेल मंत्रालय ने घोषणा की है। दरअसल रेलवे की घोषणा के पहले पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और इंदौर की पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन ताई ने रेलवे को पत्र लिखकर कोच बदलने के लिए पत्र लिखा था। ताई ने कहा था कि शांति एक्सप्रेस का रैक संग्रहालय में रखने लायक रह गया है।
ताई ने पत्र में लिखा था कि इस ट्रेन में सफाई, तकीये, चादरें और रखरखाव संबंधी कई शिकायतें यात्री कर रहे हैं। इसके बाद रेलवे ने तत्काल शांति एक्सप्रेस का पूरा रैक ही एलचबी कोच से बदलने का निर्णय ले लिया। इतना ही नहीं बुधवार शाम को इस संबंध में रेलवे ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया।
रेलवे ने शांति एक्सप्रेस के साथ पोरबंदर-दिल्ली सराय रोहिल्ला और पोरबंदर-मुजफ्फरपुर एक्सप्रेस में भी एलएचबी कोच लगाए जाएंगे।
जानिए ताई ने पत्र में क्या लिखा…
ज्यादा क्षमता, ज्यादा सुरक्षित होते हैं LHB कोच
LHB कोच ICF से 1.7 मीटर लंबे होते हैं। इसलिए स्लीपर में 80 और थर्ड एसी में 72 लोग बैठ सकते हैं। जबकि ICF कोच के स्लीपर कोच में 72 और थर्ड एसी में 64 यात्री बैठ सकते हैं।
एक्सीडेंट में एक-दूसरे पर चढ़ते नहीं
- भारत ने यह टेक्नोलॉजी सन 2000 में जर्मनी से ली है। भारत में यह पंजाब के कपूरथला में बनाए जाते हैं।
- ये कोच स्टेनलेस स्टील से बनते हैं, इस वजह से हल्के होते हैं।
- इसमें डिस्क ब्रेक लगे होते हैं। एक्सीडेंट के समय कोच एक-दूसरे पर नहीं चढ़ते।
- इसकी अधिकतम स्पीड 200 किमी और ऑपरेशनल स्पीड 160 किमी प्रति घंटे की है।
- इसके रखरखाव में कम खर्चा होता है।
ICF कोच के रखरखाव का खर्च ज्यादा
- भारत में यह कोच 1952 से बन रहे हैं। इसकी फैक्ट्री चेन्नई में है।
- इसके कोच लोहे से बने होने से भारी होते हैं।
- इसमें एयर ब्रेक लगे होते हैं। इससे एक्सीडेंट के समय कोच एक के ऊपर एक चढ़ जाते हैं।
- इसकी अधिकतम स्पीड 110 किमी प्रति घंटे की होती है।
- इसके रखरखाव में ज़्यादा खर्चा होता है।
[ad_2]
Source link