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दिल्ली उच्च न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्हें बीसीआई अध्यक्ष के रूप में राज्यसभा से अयोग्य ठहराने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने इसे…
याचिका में की थी बीसीआई प्रमुख मनन मिश्रा को राज्यसभा से हटाने की मांग नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के अध्यक्ष के रूप में कथित रूप से लाभ का पद धारण करने के लिए राज्यसभा से अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है।
न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने कहा कि वकील अमित कुमार दिवाकर द्वारा दायर याचिका में कोई दम नहीं है। यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इसलिए याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि जुर्माना राशि चार सप्ताह के भीतर दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करने का निर्देश दिया जाता है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि मिश्रा संविधान के अनुच्छेद 102(1)(ए) के तहत एक प्रतिबंध के कारण एक साथ राज्यसभा के मौजूदा सदस्य और बीसीआई के अध्यक्ष के रूप में काम नहीं कर सकते हैं, जो भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के तहत लाभ का पद धारण करने वाले संसद सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित है।
याचिका में दावा किया गया कि बीसीआई के अध्यक्ष का पद लाभ के पद के रूप में योग्य है क्योंकि इसकी भूमिका में वैधानिक कार्य, महत्वपूर्ण प्रशासनिक जिम्मेदारियां, अर्ध-न्यायिक कार्य और वित्तीय शक्तियां शामिल हैं। हालांकि न्यायमूर्ति नरूला ने कहा कि संविधान संसद के किसी भी सदस्य की अयोग्यता से निपटने के लिए एक अच्छी तरह से परिभाषित तंत्र प्रदान करता है।
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