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भारतीय जनता पार्टी की प्रस्तावित ‘गोगो दीदी योजना’ के जवाब में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बुधवार को निर्वाचन आयोग को ज्ञापन सौंपकर राज्य में ‘झामुमो सम्मान योजना’ लागू करने की अनुमति देने का अनुरोध किया। इस योजना के तहत झामुमो ने महिला लाभार्थियों को प्रति माह 2500 रुपए (सालाना 30 हजार रुपए) की आर्थिक मदद मुहैया कराने का वादा किया है, जबकि भाजपा अपने चुनावी वादे में महिलाओं को 2100 रुपए प्रति महीने देने का वादा कर रही है। झारखंड विधानसभा के चुनाव इस साल के अंत तक होने हैं।
झामुमो महासचिव विनोद कुमार पांडे ने झारखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘हमने अपनी प्रस्तावित ‘झामुमो सम्मान योजना’ को लागू करने की मंजूरी के लिए चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपा है। दो मई को जारी एक प्रेस नोट के अनुसार, आयोग की अनुमति के बिना इस योजना को लागू नहीं किया जा सकता है।’
उन्होंने कहा, ‘अगर चुनाव आयोग को लगता है कि भाजपा की प्रस्तावित योजना अवैध नहीं है, तो उसे झामुमो की योजना को भी अनुमति देनी चाहिए।’
निर्वाचन आयोग द्वारा जारी प्रेस नोट के अनुसार, राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा प्रस्तावित लाभार्थी योजनाओं के लिए सर्वेक्षण के बहाने मतदाताओं का विवरण मांगना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 123 (1) के तहत रिश्वतखोरी का भ्रष्ट आचरण माना जाता है। उन्होंने बताया कि यह पार्टियों को राजनीतिक लाभ के लिए मतदाताओं को लुभाने या प्रभावित करने से भी रोकता है।
पांडे ने दावा किया कि भाजपा द्वारा महिलाओं को एक पंजीकरण फॉर्म दिया जा रहा है, जिसमें आवेदकों को ‘गोगो दीदी योजना’ के तहत पंजीकरण करने के लिए आमंत्रित किया गया है।
पांडे के मुताबिक ‘फॉर्म में नाम, पता, मोबाइल नंबर, पंचायत, प्रखंड, जिले का नाम और अन्य विवरण मांगे गए हैं और योजना में प्रत्येक महिला को हर महीने की 11 तारीख को 2,100 रुपए और प्रति वर्ष 25,000 रुपए देने का वादा किया गया है। यह सरासर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन है और इसका उद्देश्य विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं को लुभाना है।’
पांडे ने दावा किया कि फॉर्म में आधार नंबर या बैंक खाता का विवरण नहीं मांगा गया है। उन्होंने कहा, ‘इसका मतलब है कि वे प्रस्तावित योजना के बहाने मतदाताओं का विवरण एकत्र कर रहे हैं जो अधिनियम का उल्लंघन भी है।’
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