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राजस्थान में 36 साल पहले सीकर के जिले के दिवराला गांव में हुए रूप कंवर सत्ती कांड में बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है। इस मामले में सभी 8 आरोपियों को बरी कर दिया गया है।
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दरअसल, 4 सितंबर 1987 को रूपकंवर सती केस मामले में 39 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। रूप कंवर पति की मौत के बाद उनकी चिता पर जलकर 18 साल के उम्र में सती हो गई थी।
बुधवार को जयपुर महानगर द्वितीय की सती निवारण स्पेशल कोर्ट मामले में सुनवाई हुई। इसमें कोर्ट ने श्रवण सिंह, महेंद्र सिंह, निहाल सिंह, जितेंद्र सिंह, उदय सिंह, नारायण सिंह, भंवर सिंह व दशरथ सिंह को बरी कर दिया गया है।
18 साल की उम्र में हुई थी सती
जयपुर की रहने वाली 18 साल की रूपकंवर की शादी दिवराला के मालसिंह शेखावत(24) से हुई थी। शादी के सात महीने बाद ही मालसिंह गंभीर रूप से बीमार हुए और उनकी मौत हो गई। पति के निधन के बाद रूपकंवर ने सती होने की इच्छा जताई। हालांकि पुलिस जांच में यह बात सही नहीं निकली।
4 सितंबर 1987 को रूपकंवर सती हो गई। इसके बाद स्थानीय लोगों ने उसे सती मां का रूप दिया और उसकी याद में मंदिर का निर्माण करवाया। वहां पर चुनरी महोत्सव का आयोजन भी किया गया। तब घटना का महिमामंडन करने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी सरकार ने 39 लोगों के खिलाफ हाईकोर्ट में केस दर्ज करवाया था।
आजादी के बाद राजस्थान में सती के 29 केस आजादी के बाद राजस्थान में सती के 29 केस हुए, रूपकंवर आखिरी थीं। रूपकंवर के सती होने की घटना विश्व में चर्चित घटना थी। प्रदेश व देश की बदनामी हुई। इस घटना ने काफी तूल पकड़ा था। सती मामले की जल्द सुनवाई के लिए जयपुर में सती निवारण केसों की विशेष कोर्ट बनी। इसी मामले को लेकर ये कोर्ट बनी थी और आज ये फैसला सुनाया है।
पहले 11 आरोपी हो चुके बरी, अभियोजन नहीं कर पााया था साबित
रूप कंवर के सती होने के दौरान दिवराला गांव में काफी लोगों पर इकट्ठा हो गए थे। आरोप है कि तब लोग पुलिस चौकी के सामने से घटनास्थल तक सती का महिमामंडन करते हुए निकल रहे थे। सती निवारण केसों की विशेष कोर्ट ने 31 जनवरी 2004 को 11 आरोपियों को बरी कर दिया था। अभियोजन यह साबित नहीं कर पाया था कि आरोपियों ने महिमामंडन किया। कोर्ट ने इस मामले में जिन आरोपियों को बरी किया था उनमें राजेन्द्र राठौड़, प्रताप सिंह खाचरियावास, नरेन्द्र सिंह राजावत, गोपाल सिंह राठौड़, रामसिंह मनोहर, आनंद शर्मा, ओंकार सिंह, जगमल सिंह, बजरंग सिंह, प्रहलाद सिंह व सुमेर सिंह शामिल थे।
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