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हरियाणा चुनाव के बीच जब जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की परोल पर रिहाई हुई तो सरकार की खूब आलोचना भी हुई। ऐसा इसलिए भी क्योंकि यह उनकी 15वीं पैरोल थी। भाजपा पर बलात्कार और हत्या के दोषी को उसका समर्थन हासिल करने के लिए पैरोल देने का आरोप लगाया गया। हालांकि, चुनाव परिणाम से कुछ और कहानी सामने निकलकर आ रही है। इससे न केवल भाजपा को फायदा हुआ, बल्कि कांग्रेस को भी लाभ मिला है।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डेरा समर्थकों के गढ़ माने जाने वाले 28 विधानसभा क्षेत्रों में से 15 पर कांग्रेस, 10 पर भाजपा, दो पर इंडियन नेशनल लोकदल और एक पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है।
कांग्रेस को उन निर्वाचन क्षेत्रों में 53.57 प्रतिशत, भाजपा को 35.71 प्रतिशत, आईएनएलडी को 7 प्रतिशत और निर्दलीय उम्मीदवार को 3.57 प्रतिशत वोट मिले। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि हरियाणा कांग्रेस के अधिकांश नेता राम रहीम की पैरोल के बारे में मुखर नहीं थे।
हरियाणा चुनाव के नतीजों के विश्लेषण से पता चला है कि इन 28 विधानसभा सीटों में कांग्रेस ने भाजपा से अधिक लाभ प्राप्त किया हैय़ ये सीटें हरियाणा के छह जिलों फतेहाबाद, कैथल, कुरुक्षेत्र, सिरसा, करनाल और हिसार में फैली हुई हैं।
कांग्रेस ने फतेहाबाद, रतिया, टोहाना (जहां डेरा अनुयायियों की सबसे अधिक संख्या है), कलायत, कैथल, शाहाबाद, थानेसर, पेहोवा, कालांवाली, सिरसा, ऐलनाबाद, आदमपुर, उकलाना और नारनौंद में जीत हासिल की है। वहीं, भाजपा ने हांसी, बरवाला, हिसार, नलवा, असंध, घरौंडा, करनाल, इंद्री, नीलोखेड़ी, लाडवा और पुंडरी में जीत हासिल की। आईएनएलडी ने डबवाली और रानिया में जीत हासिल की, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार सावित्री जिंदल ने हिसार में जीत हासिल की।
डेरा का भाजपा को समर्थन
सूत्रों का कहना है कि 3 अक्टूबर को डेरा सच्चा सौदा प्रमुख ने सिरसा में डेरा पदाधिकारियों को भाजपा को वोट देने का निर्देश दिया था। मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि यह संदेश एक सत्संग के दौरान दिया गया था, जहां अनुयायियों को बूथ पर कम से कम पांच मतदाताओं को लाने का निर्देश दिया गया था। यह स्पष्ट नहीं है कि गुरमीत राम रहीम इस सत्संग में मौजूद था या नहीं। आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने उन्हें ऑनलाइन प्रचार या सत्संग आयोजित करने से प्रतिबंधित कर दिया था।
डेरा सूत्रों का अनुमान है कि संप्रदाय के अनुयायियों की संख्या लगभग 1.25 करोड़ है, जिसकी 38 शाखाओं में से 21 शाखाएं हरियाणा में स्थित हैं।
डेरा का राजनीतिक प्रभाव
डेरा सच्चा सौदा का राजनीतिक प्रभाव काफी अधिक है। इसे गुरमीत राम रहीम के नेतृत्व में एक राजनीतिक शाखा के तौर पर भी संचालित किया जाता है। संप्रदाय ने पहले शिरोमणि अकाली दल, भाजपा और कांग्रेस का समर्थन किया है। 2007 के पंजाब विधानसभा चुनावों में डेरा ने कांग्रेस का समर्थन किया था।
2014 में इसने लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों में भाजपा का समर्थन किया। 2015 में डेरा ने दिल्ली और बिहार चुनावों में भाजपा का खुलकर समर्थन किया। बिहार में पार्टी के लिए लगभग 3,000 अनुयायियों ने प्रचार किया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हरियाणा में उच्च जाति के वोट आमतौर पर कांग्रेस और भाजपा के बीच बंट जाते हैं। वहीं, निचली जाति के डेरा अनुयायी अपने नेता के निर्देशों के अनुसार मतदान करते हैं।
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