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शहर के मंड्रेला रोड पर निर्माणाधीन अफॉर्डेबल हाउसिंग सोसायटी के मामले में पहली बार नगरपरिषद की संपत्ति कुर्क की गई। ये कार्रवाई जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश पर की गई है। तहसीलदार सुरेन्द्र चौधरी के नेतृत्व में मंगलवार को टीम ने शहर के डाइट के पास स्थित
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गौरतलब है कि परिवादियों की ओर से पूरे पैसे जमा करवाने के बावजूद नगरपरिषद के द्वारा उन्हें सोसायटी में फ्लैट नहीं दिया जा रहे थे।
97 परिवादियों की ओर कोर्ट में अपील की गई। कोर्ट के फैसले के बाद भी नगर परिषद की ओर से पालना नहीं की जा रही थी।
परिवादियों को ना तो फ्लैट दिए गए और ना ही पैसे। उसके परिवादियों ने न्यायालय के आदेश की पालना के लिए जिला उपभोक्ता आयोग इजराय प्रार्थना पेश किया।
आयोग के अध्यक्ष मनोज मील ने नोटिस जारी कर नगर परिषद ने अवार्ड राशि जमा के आदेश दिए। लंबे समय बाद भी आदेश की पालना नहीं की गई।
उसके बाद जिला उपभोक्ता आयोग ने अवमानना मानते हुए कहा कि नगर परिषद के पास 31 मई 2024 तक का समय दिया। इस अवधि में निर्णयों की पालना नहीं हुई तो संपत्तियां कुर्क और बैंक खाते सीज के आदेश दिए। जिसके बाद मंगलवार को कार्रवाई की गई।
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष मनोज मील के समक्ष मंगलवार को एसडीएम झुंझुनूं व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए और आयोग के द्वारा जारी वसूली कुर्की वारंट पर की गई कार्यवाही से लिखित रूप से अवगत करवाया और जिला आयोग के द्वारा जिला कलक्टर को जारी वसूली कुर्की वारंट के सम्बन्धित नगर परिषद से वसूली योग्य अवार्ड राशि को जल्द ही जिला आयोग में जमा करवाने के लिए नगर परिषद की कुर्कशुदा जमीन को नीलाम कर अवार्ड राशि प्राप्त करने का विश्वास दिलाया है।
एसडीएम ने लिखित रूप से जानकारी उपलब्ध करवाई है कि नगर परिषद को जिला आयोग के आदेश की पालना में वसूली योग्य राशि जमा करवाने के लिए नोटिस जारी किए जाने पर भी नगर परिषद ने अवार्ड राशि जमा नहीं करवाई। जिस पर विधि सम्मत कार्यवाही करते हुए जिला प्रशासन की ओर से तहसीलदार सुरेन्द्र चौधरी ने चूरू रोड़ पर डाईट के सामने नगर परिषद की आबादी की भूमि खसरा नम्बर 1691 को कुर्क कर राज हक में दर्ज कर जमाबंदी में कुर्कशुदा भूमि का बोर्ड लगाया गया है। एसडीएम ने जिला उपभोक्ता आयोग के सामने परिवचन किया है कि 15 दिवस में कुर्क शुदा भूमि की नीलामी का इश्तेहार जारी कर कुर्क शुदा जमीन को नीलाम कर वसूली योग्य अवार्ड राशि प्राप्त कर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में जमा करवाने का सद्भावी प्रयास जिला प्रशासन करेगा।
उपभोक्ता चाहे तो नगर परिषद के दोषी अधिकारियों को सजा भी दिला सकते है
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत धारा 27 एवं अधिनियम 2019 की धारा 72 के अंतर्गत उपभोक्ता के द्वारा जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में इजराय प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता जिला आयोग ने उपभोक्ता के स्तर पर सुरक्षित की हुई है। उपभोक्ता आयोग के आदेश की पालना करने में असफल रहने वाले को अधिनियम के अंतर्गत न्यूनतम 25 हज़ार रुपये और 1 महिने के कारावास का प्रावधान है।
इस दण्ड को 1 लाख रुपये और 3 साल की सजा तक बढ़ाने तथा दोनों दण्ड एक साथ भी जिला उपभोक्ता आयोग दे सकता है। उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता आयोग के आदेश की पालना करने में लापरवाही बरतने वाले दोषी अधिकारियों पर आर्थिक दण्ड एवं सजा की तलवार अभी भी लटकी हुई है।
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