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दिल्ली की उपभोक्ता अदालत ने एक छात्रा के हक में फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि छात्र/अभ्यर्थी पढ़ाई से संतुष्ट नहीं होंगे तो कोचिंग सेंटर को उनकी बकाया फीस लौटानी होगी।
दिल्ली की उपभोक्ता अदालत ने एक छात्रा के हक में फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि छात्र/अभ्यर्थी पढ़ाई से संतुष्ट नहीं होंगे तो कोचिंग सेंटर को उनकी बकाया फीस लौटानी होगी।
कश्मीरी गेट स्थित जिला उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग के अध्यक्ष इन्द्रजीत सिंह और सदस्य रश्मि बंसल की अदालत ने इस मामले में आईएएस की तैयारी कर रही शिकायतकर्ता सत्यता के पक्ष में आदेश दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि क्योंकि छात्रा ने चार महीने सेंटर से कोचिंग ली। इसलिए बकाया सात महीने की फीस कोचिंग सेंटर छात्रा को लौटाए। अदालत ने कहा कि 11 महीने की फीस 98 हजार रुपये के हिसाब से एक महीने की फीस 8909 रुपये बनती है। सात महीने की फीस जुड़कर 62 हजार 363 रुपये होती है। कोचिंग सेंटर छात्रा को ये रुपये लौटाए। साथ ही मानसिक-शारीरिक प्रताड़ना के लिए दस हजार रुपये अतिरिक्त दे। मुकदमा खर्च के तौर पर पांच हजार रुपये भी दिए जाए।
11 महीने के कोर्स में लिया था दाखिला
छात्रा ने नवंबर 2018 में ओल्ड राजेन्द्र नगर के एक कोचिंग सेंटर में आईएएस की तैयारी के लिए दाखिला लिया। इसके एवज में एकमुश्त 98 हजार रुपये का भुगतान भी किया। सेंटर की तरफ से छात्रा को बताया गया कि यहां आईएएस की तैयारी के लिए तमाम तरह के कोर्स कराए जाते हैं, लेकिन जब क्लास लेना शुरू किया तो उसने वहां वर्णित सुविधाओं का अभाव पाया।
पुलिस को भी शिकायत की थी
छात्रा ने पुलिस को इस बाबत शिकायत भी की थी, लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। कोचिंग सेंटर ने छात्रा के खिलाफ मानहानि का नोटिस जारी किया। वहीं, उपभोक्ता अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि छात्रा ने अपने दावों को साबित करने के लिए साक्ष्य पेश किए। वहीं, कोचिंग सेंटर की तरफ से मौखिक बातें कही गईं। कोई पुख्ता साक्ष्य पेश करने में सेंटर असफल रहा।
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