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तस्वीर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के गंगरार कस्बे की है। यहां बच्चों को मुफ्त कोचिंग दी जाती है। यहां से अब तक 7 हजार से ज्यादा छात्रों ने पढ़ाई की है, 100 से ज्यादा शिक्षक पढ़ाते हैं।
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के गंगरार कस्बे में हर रविवार को सैकड़ों बच्चे कोचिंग का एंट्रेंस देने आते हैं। इसमें पास होने वाले बच्चों को मुफ्त पढ़ाया जाता है। शर्त सिर्फ यह कि उन्हें दूसरों को मुफ्त पढ़ाना होगा। ये बच्चे अपने से नीचे की कक्षाओं के बच्चो
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पिछले साल इस कोचिंग में पढ़ने वाले 108 में से 97 बच्चों का एडमिशन सैनिक स्कूल में, 112 में से 59 बच्चों का नवोदय विद्यालय और 184 में से 104 बच्चों का बीएसटीसी में दाखिला हुआ। यहां से अब तक 347 बच्चे नवोदय और 168 सैनिक स्कूल में सलेक्ट हो चुके हैं। यहां सरकारी स्कूल में पढ़ने वालों को ही दाखिला मिलता है।
रविवार को टेस्ट और शनिवार को रिवीजन के अलावा सोमवार से शुक्रवार तक अलग-अलग 30 जगहों पर क्लासेस लगती हैं, जिन्हें 100 से ज्यादा शिक्षक पढ़ाते हैं। बच्चों को रहने के लिए एक शख्स ने अपना घर दान कर दिया है। यहां अजमेर और इंदौर तक से बच्चे पढ़ने आ रहे हैं।
“अभियान का मकसद जरूरतमंद बच्चों में पढ़ाई के साथ नैतिक मूल्य स्थापित करना है। इसीलिए नाम एम-टू (मोरल माइंड) रखा।”
– मनोज मीणा, संस्थापक शिक्षक, एम-2 मोरल माइंड
जज्बा… यूपीएससी की तैयारी छोड़कर पॉकेट मनी-स्कॉलरशिप से शिक्षा मिशन शुरू किया : संस्थापक संचालक मनोज मीणा ने बताया कि 2013 में वे मेवाड़ विवि में बीटेक करते हुए गंगरार में किराये पर रहते थे। 3 बच्चों को पढ़ाने लगे। तीनों नवोदय विद्यालय में सलेक्ट हो गए तो अगले साल 10-12 बच्चे आ गए। यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली गए। फिर छोड़कर वापस गंगरार में पढ़ाना शुरू कर दिया। पिता के भेजे जेब खर्च और छात्रवृत्ति के भरोसे साथियों के साथ मुफ्त कोचिंग शुरू कर दी।
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