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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने पारिवारिक विवाद के मामले में पति की तलाक मंजूर करने की अपील खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा इस मामले में पत्नी पति के साथ रहना चाहती है, लेकिन पति उसके साथ नहीं रहना चाहता। ऐसे में विवाह के अपूर्णीय विघटन की मांग स्वीकार नहीं की जा सकती।
इस अहम नजीर के साथ न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ल की खंडपीठ ने पत्नी से तलाक लेने की पति की अपील खारिज कर दी। पहले 2016 में पति ने उन्नाव की पारिवारिक अदालत में तलाक लेने का दावा दाखिल किया था। जिसे 2021 में पारिवारिक अदालत ने खारिज कर दिया था। पारिवारिक अदालत के इस फैसले को चुनौती देकर पति ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की। पति ने पत्नी के खिलाफ क्रूरता करने समेत अलग रहने के आरोप लगाकर तलाक मंजूर किए जाने का आग्रह किया।
इस पर कोर्ट ने कहा कि अलग रहने का आरोप पति साबित नहीं कर सका। वहीं, जहां तक क्रूरता का आरोप है, तो पत्नी, खुद पति के साथ रहना चाहती है। ऐसे में जब पत्नी, पति के साथ रहना चाहती है, लेकिन पति उसके साथ नहीं रहना चाहता। लिहाजा, विवाह के अपूर्णीय विघटन की मांग स्वीकार नहीं की जा सकती। साथ ही तलाक मंजूर करने के इन दोनों आधारों को खारिज किया जाता है। कोर्ट ने पारिवारिक अदालत के फैसले से पूरी सहमति जताकर अपील खारिज कर दी।
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