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दिल्ली-एनसीआर में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (MSME) के उद्यमियों के लिए सस्ती जमीन पाना एक बड़ी चुनौती बन गई है। जमीन के महंगे दामों के कारण नए उद्योग स्थापित करना मुश्किल हो रहा है। उद्यमियों ने…
नई दिल्ली, वरिष्ठ संवाददाता। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को संचालित करने वाले उद्यमियों के लिए फिलहाल सस्ती जमीन पाना सबसे बड़ी चुनौती है। खासतौर से दिल्ली-एनसीआर में जमीनों के दाम महंगे होने के कारण उद्यमियों के लिए नए उद्यम लगा पाना मुश्किल हो रहा है। उद्यमियों का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से कोई ऐसी पॉलिसी बनाए जाने का इंतजार है, जिसमें सस्ती जमीन मिलने की बाधाएं खत्म हो सके। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज सिंघल का कहना है कि वर्ष 2022 में केंद्र सरकार ने एमएसएमई सेक्टर के लिए पॉलिसी बनाने से पहले आईआईए से सुझाव मांगे थे। न सिर्फ दिल्ली बल्कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब समेत अन्य राज्यों के उद्यमियों ने सरकार को सुझाव भेजे थे। इसमें निर्यात से संबंधित नियमों में बदलाव किए जाने, नए उद्योग लगाने के लिए सस्ती दरों पर जमीन दिलाए जाने के भी सुझाव दिए गए थे। उनका कहना है कि कई सुझावों को पॉलिसी में शामिल किया, लेकिन जमीन से संबंधित सुझाव पॉलिसी में शामिल नहीं हुए। आईआईए के मेरठ मंडल के चेयरमैन राकेश अनेजा का कहना है कि दो दशकों में एनसीआर में जमीनों के दाम पांच से आठ गुना तक बढ़ गए हैं। ऐसे में नए उद्यम लगाने के लिए पूंजी की जरूरत बढ़ गई है। उनका कहना है कि आईआईए के माध्यम से इन सुझावों को दोबारा केंद्र सरकार तक पहुंचाया जाएगा।
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