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Satyendra Jain Bail Plea: सत्येंद्र जैन ने शनिवार को एक विशेष अदालत में सुनवाई शुरू होने में देरी और लंबी अवधि तक जेल में रहने का हवाला देते हुए जमानत मांगी। अदालत ने उनकी जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
राष्ट्रीय राजधानी की राउज एवेन्यू स्थित विशेष अदालत ने शनिवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की नियमित जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। सत्येंद्र जैन ने सुनवाई शुरू होने में देरी और लंबी अवधि तक जेल में रहने का हवाला देते हुए जमानत मांगी है। अब विशेष अदालत 15 अक्तूबर को अपना आदेश सुनाएगा। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने बचाव पक्ष के वकील और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के विशेष वकील की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
वरिष्ठ वकील एन हरिहरन और अधिवक्ता विवेक जैन सत्येन्द्र जैन की ओर से पेश हुए। उनके वकीलों ने दलील दी कि गवाहों को प्रभावित करने की कोई आशंका नहीं है। साथ ही, उनके भागने का भी कोई खतरा नहीं है। बचाव पक्ष ने कहा कि प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) 2017 में दर्ज की गई थी। ईडी ने पांच साल बाद 2022 में अभियोजन शिकायत दर्ज की थी।
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के मुताबिक, अभियोजन पक्ष की शिकायत दर्ज होने के बाद सत्येंद्र जैन की ओर से यह दूसरी जमानत याचिका दायर की गई है। सत्येंद्र जैन के वकीलों ने कहा कि सीबीआई ने दावा किया है कि अपराध की आय 1.27 करोड़ रुपये है, जबकि ईडी का कहना है कि यह 4.68 करोड़ रुपये है। दोनों एजेंसियों के अलग अलग दावे हैं जो भ्रम को दर्शाता है।
देरी को जमानत का आधार बताते हुए सत्येंद्र जैन के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता हरिहरन ने कहा कि ईडी पिछले 5 वर्षों से इसकी जांच कर रही है। मनीष सिसोदिया 17 महीने तक हिरासत में रहे और उन्हें जमानत मिल गई, जबकि के. कविता को 5 महीने में जमानत मिल गई। वहीं जैन 18 महीने से अधिक समय से हिरासत में हैं। 108 गवाह और 5,000 पन्नों के दस्तावेज हैं। हमें नहीं पता कि कितने और गवाह जोड़े जाएंगे।
सत्येंद्र जैन के वकील ने कहा कि आरोप अभी तय होने बाकी हैं। हाल फिलहाल में मुकदमे के समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है। बिना मुकदमे के लंबे समय तक जेल में रखना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। वहीं, ईडी के विशेष वकील जोहेब हुसैन ने बचाव पक्ष की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि मामले में देरी आरोपियों की वजह से हुई है। यदि आरोपी सहयोग करते तो केस अंतिम चरण में होता।
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