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राज्य सरकार ने नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) में जमा पैसा निकालने वाले कर्मचारियों को राहत देने के साथ फिलहाल ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) जारी रखने के संकेत दिए हैं। इसके लिए वित्त विभाग ने एक सर्कुलर जारी किया है। एनपीएस का पैसा निकालने वालों को रिटायरमेंट तक
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सर्कुलर के अनुसार, जिन कर्मचारियों ने अब तक एनपीएस का पैसा निकाल लिया था, उन्हें निकाला गया पैसा तत्काल वापस जमा करवाने की अनिवार्यता से छूट दे दी है। एनपीएस से पैसा निकालने वालों को रिटायरमेंट तक का वक्त दे दिया है। वित्त विभाग के मुताबिक, एनपीएस से अब तक पैसा निकालने वालों का पैसा रिटायरमेंट के वक्त नियमाें के हिसाब से कैलकुलेट कर समायोजित किया जाएगा। हालांकि इनसे जीपीएफ के बराबर इंटरेस्ट वसूलने का प्रावधान है।
वित्त विभाग ने अब साफ किया है कि इस सर्कुलर के जारी होने के बाद भी 1 जनवरी 2004 और उसके बाद सरकारी नौकरी में आने वाले अफसर-कर्मचारी अगर एनपीएस में जमा पैसा निकालने के लिए अप्लाई करते हैं तो उन्हें पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे कार्मिकों को राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996 के तहत पात्र नहीं माना जाएगा।
गहलोत सरकार ने लागू की थी ओपीएस पिछली गहलोत सरकार ने 1 जनवरी 2004 और इसके बाद सरकारी नौकरी में आने वालों को एनपीएस की जगह ओपीएस देने का सिस्टम लागू किया था। ओपीएस लागू होने के बाद अफसर-कर्मचारियों से कटौती बंद हो गई थी।
एनपीएस में कर्मचारी का 10% पैसा कटता था, उतना ही सरकार जमा करवाती थी एनपीएस में कर्मचारी की सैलरी का 10 फीसदी पैसा कटता था, उतना ही पैसा सरकार जमा करवाती थी। इसका पैसा पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) में जमा होता था। पीएफआरडीए में 39 हजार करोड़ का फंड जमा है। ओपीएस लागू होने के बाद राजस्थान सरकार ने पीएफआरडीए से पैसा वापस मांगा, लेकिन संस्था ने मना कर दिया।
हालांकि कर्मचारी पीएफआरडीए में जमा पैसा निकाल सकते हैं। कई अफसर-कर्मचारियों ने ओपीएस लागू होने के बाद एनपीएस में जमा पैसा निकाल लिया। बाद में सरकार ने इस पर रोक लगाई और पैसा वापस जमा करवाए बिना ओपीएस नहीं देने की भी चेतावनी दी, लेकिन बाद में कुछ छूट दे दी। अब वित्त विभाग ने सर्कुलर निकाल कर एनपीएस का पैसा निकालने वालों को राहत देने के साथ ओपीएस बंद नहीं करने के भी संकेत दिए हैं।
एक लाख से ज्यादा कर्मचारियों ने NPS के जमा 590 करोड़ निकाल लिए थे OPS लागू होने के बाद प्रदेश के एक लाख 143 कर्मचारियों ने NPS फंड में से 590 करोड़ रुपए निकाल लिए थे। इनमें से 40 हजार कर्मचारियों से ही पैसा वसूल हुआ था। सरकार ने कई बार कर्मचारियों को पैसा जमा करवाने के लिए सर्कुलर निकाले, लेकिन पैसा वसूल नहीं हो पाया।
जानिए ओपीएस से जुड़े सवालों के जवाब…
सवाल : कर्मचारी अभी भी 2004 से पहले वाली ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग क्यों कर रहे हैं?
जवाब : ओल्ड पेंशन स्कीम को दिसंबर, 2003 में बंद कर दिया गया था और NPS लागू कर दी गई थी। NPS और UPS के उलट OPS में कर्मचारी को पेंशन के लिए कोई रकम नहीं देनी होती थी। जैसा कि उसे NPS और UPS में बेसिक सैलरी+DA का 10% जमा करना होता है।
कर्मचारी को आखिरी सैलरी का फिक्स 50% बतौर पेंशन मिलता था। ये रकम सरकार अपने खजाने से देती थी। इससे केंद्र सरकार और राज्यों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा था।
साल 1990-91 में केंद्र का पेंशन पर होने वाला खर्च 3,272 करोड़ और सभी राज्यों का कुल पेंशन खर्च 3,131 करोड़ रुपए था। वहीं, 30 साल बाद 2020-21 में केंद्र का पेंशन पर होने वाला खर्च 58 गुना बढ़कर 1 लाख, 90 हजार, 886 करोड़ रुपए हो गया। जबकि इतने ही सालों में राज्यों का पेंशन पर खर्च 125 गुना बढ़कर 3 लाख, 86 हजार 1 करोड़ रुपए हो गया।
कर्मचारियों का कहना है कि OPS में पेंशन में बढ़ोतरी ज्यादा थी। मेडिकल सुविधाएं बेहतर थीं। साथ ही मनचाहे समय पर रिटायरमेंट के बाद भी पेंशन का फायदा मिलता था। इसके अलावा जनरल प्रोविडेंट फंड मिलता था और 20 लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी मिलती थी।
सवाल : जो कर्मचारी NPS से OPS के दायरे में आए हैं, उनको स्कीम का लाभ कब से मिलेगा? जवाब : जॉइन करने की तारीख से ही पेंशन स्कीम शुरू मानी जाएगी। सरकार ने दिनांक 19-5-2022 को अधिसूचना जारी कर राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996 के सारे प्रावधान लागू कर दिए हैं। ऐसे में जो नए लोग ओल्ड पेंशन स्कीम से जुड़े हैं, उनको नियुक्ति की तारीख से ही लाभ मिलेगा।
ओपीएस को फिर लागू करने को लेकर नीति आयोग ने जताई थी आपत्ति
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