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नई दिल्ली. मिथुन चक्रवर्ती का नाम सिनेमा में भारत के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए घोषित किया गया. दिग्गज एक्ट्रेस लगभग पांच दशकों के करियर में कई भारतीय भाषाओं में 350 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है. लेकिन उन्हें ‘डिस्को डांसर’, ‘कसम पैदा करने वाले की’ और ‘डांस डांस’ जैसी फिल्मों ने काफी स्टारडम दिया. पुराने दौर में मिथुन के साथ हर डायरेक्टर काम करना चाहता था. माना जाता था कि जिस फिल्म में मिथुन हैं, वो हिट का गारंटी है. लेकिन क्या आप जानते हैं अपना पहला नेशनल अवॉर्ड जीतने के बाद बॉलीवुड के ‘दादा’ घमंड से चूर हो गए थे. फिर कैसे वो जमीनी सितारा बने इसका खुलासा एक्टर ने खुद किया है.
मिथुन चक्रवर्ती ने हाल ही में फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जर्नी के बारे में बात की. मुंबई के फुटपाथों पर सोने से लेकर फिल्म इंडस्ट्री में अपने शुरुआती संघर्षों को उन्होंने याद किया. एक्टर ने हाल ही में हमारी सहयोगी वेबसाइट न्यूज18 के साथ एक बातचीत में दादा साहब फाल्के पुरस्कार मिलने के लिए आभार जताया. उन्होंने बताया कि कैसे उनके अनुभवों ने उन्हें जमीन से जुड़े रहने का महत्व सिखाया.
‘मृगया’ के लिए जीता था पहला नेशनल अवॉर्ड
बातचीत में बॉलीवुड के ‘डिस्को डांसर’ ने बताया कि 1976 में उन्होंने ‘मृगया’ से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा. इससे पहले वो इंडस्ट्री में किसी को नहीं जानते थे. अपने काम के दम पर उन्होंने अपनी पहचान बनाई. मिथुन दा ने बताया कि अपने करियर की पहली ही फिल्म ‘मृगया’ के लिए नेशनल अवॉर्ड मिलने के बाद वो घमंडी हो गए थे.
जब ने कहा निर्माता कहा- ‘गेट आउट’, फिर…
मिथुन चक्रवर्ती ने साझा किया कि कैसे उनके करियर की शुरुआत में राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने से घमंड ने घर कर लिया था. उन्होंने कहा कि प्रतिष्ठित पुरस्कार जीतने के बाद उन्हें ऐसा लगने लगा, जैसे वह सबसे महान एक्टर हों. उन्होंने याद करते हुए कहा, ‘मृगया के बाद मुझे अपना पहला राष्ट्रीय पुरस्कार मिला. मैंने अल पचिनो की तरह अभिनय करना शुरू कर दिया. ऐसा लग रहा था कि मैं सबसे महान एक्टर हूं. मेरा रवैया बदल गया तो निर्माता ने देख के बोले ‘गेट आउट’. तब मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ.
क्यों नहीं लिखते अपने ऑटोबायोग्राफी
मिथुन चक्रवर्ती ने अपने कठिन शुरुआती दिनों को याद करते हुए बताया कि यह यात्रा बेहद कठिन थी. उन्होंने कहा कि लोगों ने उन्हें जीवनी लिखने का सुझाव दिया है, लेकिन उनका मानना है कि उनकी कहानी प्रेरित करने के बजाय हतोत्साहित कर सकती है. उन्होंने कहा, ‘ये सफर बहुत कठिन था. कई लोग मुझसे कहते हैं कि मैं ऑटोबायोग्राफी क्यों नहीं लिखता. मैं कहता हूं नहीं… क्योंकि मेरी कहानी लोगों को प्रेरित नहीं करेगी, उनको नैतिक रूप से कमजोर कर देगा. जो युवा लड़के संघर्ष करते हैं उनका हिम्मत तोड़ देगा. यह बहुत कठिन, इतना दर्दनाक, बहुत दर्दनाक है. मैं कोलकाता की एक अंधी गली से आया था और मुंबई भी बहुत कठिन था. किसी दिन मुझे खाना नहीं मिलता था और मैं कभी-कभी फुटपाथ पर सो जाता था.
सबसे बड़ा पुरस्कार जीतना जैसे…
उन्होंने आगे कहा, ‘उस लड़के के लिए फिल्मों का सबसे बड़ा पुरस्कार जीतना, मैं अभी भी इसे पचा नहीं पा रहा हूं. अभी तक होश संभला नहीं… इतना बड़ा पुरस्कार. मैं खुशी से रो भी नहीं सकता.’
Tags: Mithun Chakraborty
FIRST PUBLISHED : October 3, 2024, 10:54 IST
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