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Israel-Iran Conflict: इजरायल ईरान के बीच जारी तनाव के वक्त अब ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान 2 दिन की दौरे पर कतर के लिए रवाना हो गए हैं. जानकारी के मुताबिक वो 19वें एशियन कोऑपरेशन डायलॉग समिट में हिस्सा लेने के इरादे से गए हैं. हालांकि पर्दे के पीछे की कहानी कुछ और ही बंया करती है. माना जा रहा है कि वो मौजूदा स्थिति पर कतर का साथ चाहते हैं इसलिए वो दौरे पर गए हैं. हाल ही में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने घोषणा की थी कि वो ईरान से बदला लेंगे. इसके बाद से मिडिल ईस्ट में हड़कंप का मच गया है. यहां तक की तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप अर्दोआन तक ने कहा दिया है कि उन्हें भी इजरायली हमले का डर सता रहा है.
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान कतर में अमीर शेख तमीम बिन हमद बिन खलीफा अल थानी के साथ एक बैठक करेंगे, जिसमें दोनों देश के नेता आपसी संबंधों पर चर्चा करेंगे. हालांकि, उनका प्रमुख मुद्दा इजरायल होगा, जिसके नाम से अभी ईरान खौफ खा रहा है. कतर दौरे पर पेजेशकियान 19वें एशियन कोऑपरेशन डायलॉग समिट में हिस्सा लेंगे. इसके लिए उन्हें न्योता भेजा गया था, जहां वो सीनियर अफसरों से बात करेंगे और कई डील साइन करेंगे.
ईरान को कतर पर है भरोसा
मिडिल ईस्ट में जंग की शुरुआत से ही कतर शांति की बात करता आया है. हमेशा से संघर्ष को रोकने की कोशिश में रहा है. लेकिन इजरायल से कतर का कोई खास संबंध नहीं है. इसके बावजूद वो शांति को महत्व देने की लगातार कोशिश कर रहा है. ईरान और कतर की आबादी में काफी अंतर है. जहां कतर एक सुन्नी मुस्लिम वाला देश है, वहीं ईरान एक शिया बहुल कंट्री है. इसके बावजूद दोनों के रिश्ते काफी अच्छे हैं. हालांकि, ऐसे शिया बहुल देश है, जो चाहते हैं कि ईरान कतर से अपने संबंध तोड़ दे, लेकिन ईरान को लगता है कि अगर मिडिल ईस्ट कोई है तो वो कतर ही है, जो शांति लाने में मदद कर सकता है.
कतर में अमेरिकी सेना
एक तरफ कतर और ईरान के बीच अच्छे संबंध है, वहीं दूसरी तरफ अमेरिका के हजारों सैनिक कतर के सबसे बड़े सैन्य बेस अल-उदेद एयरबेस पर तैनात हैं. इस वजह से ईरान को डर सताता रहता है कि कहीं अमेरिका हमला न कर दे. यह वजह भी है कि ईरान को कतर की जरूरत का एहसास होता है, जिसे वो अमेरिका के गुस्से से बचा रहे.
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