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स्पेशल सेल ने दिल्ली में सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय कोकीन तस्करी रैकेट का पर्दाफाश किया है। गिरोह का संचालन मिडिल ईस्ट के दुबई से हो रहा था और भारत में दिल्ली इसका केंद्र था। महिपाल पुर एक्सटेंशन से गिरोह के चार तस्करों को गिरफ्तार किया है।
स्पेशल सेल ने दिल्ली में सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय कोकीन तस्करी रैकेट का पर्दाफाश किया है। गिरोह का संचालन मिडिल ईस्ट के दुबई से हो रहा था और भारत में दिल्ली इसका केंद्र था। महिपाल पुर एक्सटेंशन से गिरोह के चार तस्करों को गिरफ्तार कर इनके कब्जे से करीब 562 किलो कोकीन और 40 किलो थाईलैंड का मारिजुआना बरामद किया गया है। ड्रग्स की कीमत पांच हजार करोड़ से ज्यादा की बताई जा रही है।
तस्करों से पूछताछ में कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। देश के करीब 15 राज्यों से होते हुए दिल्ली कोकीन की खेप पहुंची थी। यहीं से विभिन्न राज्यों में ड्रग्स की सप्लाई की जाती थी। केंद्रीय खुफिया इकाइयों से मिले इनपुट के आधार पर दिल्ली पुलिस की एंटी टेरर यूनिट स्पेशल सेल ने पिछले तीन महीने तक चले ऑपरेशन के बाद इस नेटवर्क का पर्दाफाश किया है।
15 राज्यों की पुलिस को देते थे धोखा
कोकीन तस्करी में लिप्त तस्कर इसे विभिन्न रूटों से भारत के अलग-अलग करीब 15 राज्यों तक पहुंचाते थे। फिर वहां से सुरक्षा एजेंसियों से बचते हुए दिल्ली आते थे और यहां महिपालपुर एक्सटेंशन में बनाए गए गोदाम में कोकीन की खेप रखी जाती थी। यहां से देश के दूसरे हिस्सों में सप्लाई होती थी।
सीमापार से संचालन
स्पेशल सेल के हत्थे चढ़े तस्करों से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि मिडिल ईस्ट से लेकर भारत तक इस नेटवर्क में करीब 15 लोग जुड़े हैं। इसमें से ज्यादातर सीमापार से ही गिरोह का संचालन कर रहे हैं, जबकि देश का सबसे बड़ा खरीददार(रिसीवर) और इसका सप्लायर (डिस्ट्रीब्यूटर) वसंत विहार निवासी तुषार गोयल है। जांच एजेंसियों को चकमा देने के लिए लेन-देन क्रिप्टोकरेंसी में किया जाता था।
क्रिप्टो करेंसी में लेन-देन
अधिकारी के मुताबिक, टेथर एक क्रिप्टो करेंसी है। इसे आम बोलचाल में यूएसडीटी के नाम से भी जाना जाता है। टेथर(यूएसडीटी) लिमिटेड नामक एक विदेशी कंपनी द्वारा इसे जारी किया गया है। इस मामले में टेथर क्रिप्टो करेंसी में ही लेन-देन होता था। पुलिस अब क्रिप्टो करेंसी के जरिए हुई लेन-देन के मनी ट्रेल (आदान-प्रदान के रूट) की जांच के लिए तकनीकी टीम की मदद ले रही है।
आईपी विश्वविद्यालय से स्नातक है सरगना
तुषार गोयल
तुषार गोयल देश में ड्रग्स का सबसे बड़ा रिसिवर और डिस्ट्रीब्यूटर है। स्पेशल सेल की मानें तो वह पिछले चार-पांच साल से ड्रग्स तस्करी का धंधा कर रहा है। इसने वर्ष-2003 में आईपी विश्वविद्यालय, दिल्ली से स्नातक की थी। इसके पिता पहाड़गंज में तुषार प्रकाशन और ट्यूलिप प्रकाशन नाम से दो प्रकाशन चलाते हैं। पढ़ाई के बाद तुषार ने अपने पिता के प्रकाशन का व्यवसाय संभाला। 2008 में शादी के बाद इसने कमीशन पर लोगों के काम करा ऐशो-आराम की जिंदगी जीने लगा। इसी बीच में वह दुबई में ड्रग्स तस्करी के सरगना के संपर्क में आया और इस धंधे से जुड़ गया।
हिमांशु
हिमांशु ही तुषार के इस काम का मुख्य सहयोगी माना जाता है। इसने 12वीं तक की पढ़ाई दिल्ली से की है। पढ़ाई छोड़ने के बाद इसने जिम ज्वाइन कर लिया और रोजाना अलग-अलग लोगों के लिए बाउंसर और सुरक्षाकर्मी के रूप में काम करने लगा। बाद में वह तुषार के संपर्क में आया और इसके साथ ड्रग्स की तस्करी में शामिल हो गया।
औरंगजेब
औरंगजेब तुषार की गाड़ी चलाता था और इसके साथ हर वक्त रहता था। वह तुषार का सबसे भरोसेमंद है। आरंगजेब यूपी के देवरिया का रहने वाला है। इसने 11वीं कक्षा तक की पढ़ाई देवरिया से की है। वह नौकरी की तलाश में दिल्ली आया और तुषार के घर ड्राइवर के रूप में काम करने लगा।
भरत जैन
भरत जैन कोकीन की खेप लेने के लिए मुंबई के कोरला वेस्ट से दिल्ली आया था। इसने अपनी पढ़ाई मुंबई से की है। बाद में वह मुंबई के एक ड्रग डीलर के संपर्क में आया और फिर इस धंधे से जुड़ गया।
समुद्री मार्ग का इस्तेमाल
दिल्ली तक कोकीन पहुंचाने के लिए समुद्री, हवाई और सड़क, तीनों ही रूट का इस्तेमाल किया जाता रहा है। इस मामले में समुद्री रूट का इस्तेमाल किया गया है। नार्को मामले से जुड़ी खुफिया इकाइयों के मुताबिक, मिडिल ईस्ट से जिस रूट का इस्तेमाल होता है, उसमें ईरान से अरब सागर के रास्ते पाकिस्तान और फिर लक्षद्वीप तक का है। साथ ही ईरान-पाकिस्तान से सीधे पोरबंदर, गुजरात का भी रूट है। हालांकि, बरामद खेप इसमें से किस रूट से भारत पहुंची है, इसका खुलासा अभी तक जांच एजेंसी ने नहीं किया है। ड्रग्स तस्कर के गोदाम से थाईलैंड का मारिजुआना भी बरामद हुआ है। इसे देश के विभिन्न राज्यों में भेजा जाना था।
इनका बढ़ा दबदबा
पहले इस कारोबार में अंडरवर्ल्ड या फिर उसके नेटवर्क से जुड़े लोगों का बोलबाला रहता था। अब नार्को टेरर एंगल सामने आने पर इसमें तीन प्रमुख प्रतिबंधित आतंकी संगठन आईएसआईएस, लश्कर-ए-तैय्यबा और लिट्टे के शामिल होने का खुलासा हुआ है।
कार्टून और पोलो शर्ट के कवर में था ड्रग्स
अधिकारी ने बताया कि बरामद ड्रग्स 23 कार्टून और आठ यूएस पोलो शर्ट के कवर के अंदर छिपाकर रखा गया था। दिल्ली से ये ड्रग्स देश के अलग-अलग राज्यों से पहुंचती थी।
ड्रग्स की आपूर्ति कहां होती इसकी हो रही जांच
दिल्ली में बरामद हुई यह अबतक की सबसे बड़ी ड्रग्स की खेप है। इतनी बड़ी मात्रा में ड्रग्स आखिर किस वजह से मंगाई गई थी, क्या किसी बड़ी पार्टी या कॉन्सर्ट में इसका इस्तेमाल होना था? इसकी जांच की जा रही है।
क्या है सजा का प्रावधान
ड्रग्स के केस में एनडीपीएस एक्ट 1985 के तहत अलग-अलग सजा का प्रावधान है। इसमें धारा 15 के तहत एक साल, धारा 24 के तहत 10 साल की सजा और एक लाख से दो लाख रुपये तक का जुर्माना है। धारा 31ए के तहत मृत्युदंड का भी प्रावधान है।
लोगों को जागरूक कर रही एजेंसियां
एजेंसियां आम जनता को ड्रग्स के बारे में जागरूक करती है। विभिन्न जगहों पर फ्लेक्स बैनर, पोस्टर, साइनेज, पम्फलेट बांटे जाते हैं, जिससे कि लोग जागरूक हों और इस तरह की गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दे।
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