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सांझी उत्सव का उपायुक्त राजेश जोगपाल ने किया शुभारंभ।
कुरुक्षेत्र में मसाना स्थित हेरिटेज विलेज में विरासत सांझी उत्सव का शुभारंभ बुधवार को उपायुक्त राजेश जोगपाल ने किया। यह उत्सव 11 दिन तक चलेगा और 11 अक्टूबर को इसका समापन होगा। इस उत्सव में हरियाणा दिल्ली तथा उत्तर प्रदेश के लोक कलाकार सांझी प्रति
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इस उत्सव में विश्व की सबसे बड़ी सांझी जींद के कलाकार गौत्तम ने बनाई। यह सांझी आकर्षक का केंद्र बनी हुई है। सांझी प्रतियोगिता में विजेताओं को नकद राशि से सम्मानित किया जाएगा। प्रथम स्थान पर आने वाली सांझी को 51 हजार, दूसरे स्थान वाली को 31 हजार, तीसरे स्थान पर रहने वाली सांझी को 21 हजार रुपए का नकद इनाम दिया जाएगा। इसके अलावा 11 हजार, 5100, 3100, 2100-2100 के पांच इनाम और 1100-1100 के 10 इनाम दिए जाएंगे।
मटका दौड़ का हुआ आयोजन।
सांझी कला को बचाने की जरूरत: डीसी
उपायुक्त राजेश जोगपाल ने शुभारंभ करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए विरासत सांझी उत्सव का आयोजन युवा पीढ़ी से जोड़ने के लिए एक नया प्रयोग है। वर्तमान दौर में सांझी जैसी लोक कला गांवों से समाप्त हो रही है। इस कला को बचाने के लिए विरासत ने जो प्रयास किया है, वह सराहनीय है। आने वाले दिनों में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि विरासत ने जिस तरीके से लोक सांस्कृतिक विषय-वस्तुओं की प्रदर्शनी यहां पर प्रदर्शित की है उसके माध्यम से युवाओं को जोड़ने का अवसर प्राप्त हुआ है।
सांझी प्रतियोगिता में मटका दौड़ का हुआ आयोजन
सांझी प्रतियोगिता में महिलाओं की मटका दौड़ का भी आयोजन किया गया। इस दौड़ में इन्द्री से मधु ने प्रथम स्थान, एमएमडीयू मुलाना अंबाला से ज्योति ने दूसरा स्थान, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कुमकुम ने तीसरा स्थान हासिल किया। जीतने वाले सभी प्रतिभागियों को नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
छात्रों तक पहुंचाने के सार्थक प्रयास: कुलसचिव
इस मौके पर विशिष्ट अतिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा ने कहा कि विरासत हेरिटेज विलेज ने सांझी उत्सव के माध्यम से हरियाणा की लोककला सांझी को स्कूल एवं महाविद्यालयों के छात्रों तक पहुंचाने के लिए सार्थक प्रयास किया है। इस तरीके से हरियाणा की लोक संस्कृति को विरासत के माध्यम से एक नया मंच मिला है। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि केडीबी के मानद सचिव उपेन्द्र सिंघल ने कहा कि विरासत धीरे-धीरे ही सही, लेकिन संस्कृति के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना रहा है।
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