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दिल्ली में सड़कों की निगरानी ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) से की जाएगी। यदि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की 1400 किलोमीटर लंबी सड़कों में कोई गड्ढा हो गया है, हरियाली सूख गई है या फिर डिवाइडर, स्पीड ब्रेकर, फुटपाथ टूट गए हैं तो इसकी सूचना शीर्ष अधिकारियों को तत्काल मिल जाएगी।
दिल्ली में सड़कों की निगरानी ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से की जाएगी। यदि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की 1400 किलोमीटर लंबी सड़कों में कोई गड्ढा हो गया है, हरियाली सूख गई है या फिर डिवाइडर, स्पीड ब्रेकर, फुटपाथ टूट गए हैं तो इसकी सूचना शीर्ष अधिकारियों को तत्काल मिल जाएगी।
इस संदेश के साथ उन्हें गड्ढों के फोटो के साथ जियो टैगिंग की मदद से उनकी लोकेशन भी पता चल जाएगी। इसके लिए विशेष सॉफ्टवेयर बनाया गया है, जिसकी निगरानी का काम फिलहाल एक साल के लिए प्राइवेट एजेंसी के जरिये दिया जाएगा।
पीडब्ल्यूडी के अधिकारी ने बताया कि सॉफ्टवेयर आधारित निगरानी के इस प्रोजेक्ट में विभाग के अंतर्गत आने वाली सभी सड़कों को शामिल किया गया है। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। प्राइवेट एजेंसी महीने में दो बार अधिकारियों को इन सभी सड़कों की रिपोर्ट भेजेगी और इसके साथ उन स्थानों की सूची भी शामिल होगी, जिन स्थानों पर सड़कों में गड्ढे, डिवाइडर, फुटपाथ, स्पीड ब्रेकर में टूट-फूट होगी या पेंट मार्किंग, सेंट्रल वर्ज, ड्रेन कवर, स्ट्रीट लाइटों में कमियां होगी। इस रिपोर्ट के आधार पर संबंधित अधिकारी तत्काल संज्ञान लेंगे और क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत कराएंगे या अन्य कमियों को दूर कराएंगे। अत्याधुनिक तकनीक से सड़कों की निगरानी के लिए पीडब्ल्यूडी एक साल में तकरीबन 2.60 करोड़ रुपये खर्च करेगा। वहीं, पीडब्ल्यूडी ने इस निगरानी सिस्टम के लिए 27 सितंबर तक निविदा आमंत्रित की थी। विभाग के अधिकारी ने बताया कि अब इसकी तारीख बढ़ाकर नौ अक्टूबर कर दी गई है।
इन बिंदुओं पर निगरानी की जाएगी
● स्पीड ब्रेकर है या नहीं, उसका रंग तो नहीं उतर गया
● गड्ढे, जलभराव, सड़कों में दरारें या अन्य टूट-फूट
● सड़कों की बाउंड्री की स्थिति और पैचवर्क रिपेयर
● हरियाली में कमियां, हेज लगी है या नहीं
● सड़कों पर विभिन्न तरह की मार्किंग
● डिवाइडर, फुटपाथ, पेवर ब्लॉक आदि की स्थिति
● सड़कों के किनारे लगे स्कल्पचरों की स्थिति
● सड़कों के किनारे लगे पेड़ और झाड़ियों की स्थिति
● अवैध पार्किंग और सड़क किनारे लगे ठेले आदि
● डस्टबिन, कूड़े की स्थिति
● सड़कों पर पशुओं की उपस्थिति
● लगाए गए बैरिकेड या अन्य बाधाओं की स्थिति
● सड़कों आदि निर्माण कार्यों की प्रगति
● टूटी स्ट्रीट लाइटें या ट्रैफिक सिग्नल
● निर्माण सामग्री की वजह से यातायात में होने वाली बाधाएं आदि
स्थान के साथ फोटो भी अधिकारियों को भेजेगा
प्राइवेट एजेंसी सड़कों की मैपिंग करेगी। इसके बाद हर महीने में दो बार इन सड़कों की अपनी टीमों के जरिये अत्याधुनिक कैमरों से वीडियो रिकॉर्डिंग कराएगी। इसके बाद वीडियो फुटेज को कंप्यूटर में डाला जाएगा और अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर के जरिये उसका विश्लेषण किया जाएगा। अगर किसी सड़क पर गड्ढा होगा, दरारें होंगी, डिवाइडर, फुटपाथ, सेंट्रल वर्ज, ड्रेन कवर, स्पीड ब्रेकर टूटा होगा या तय किए गए 19 बिंदुओं में से अन्य कोई कमी होगी तो सॉफ्टवेयर उसे पहचान लेगा और जियो टैग लोकेशन के साथ उसका फोटो तैयार कर देगा। ऐसे ही अगर अन्य सड़कों में भी कमियां होंगी तो उन सभी की सूची फोटो के साथ तैयार हो जाएगी और पीडब्ल्यूडी कंट्रोल रूम, मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता, अधिशासी अभियंता या नामित किए गए अन्य अधिकारियों के पास रिपोर्ट भेज देगा।
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