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दिल्ली में शाही ईदगाह पार्क में रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाए जाने के विरोध में हाई कोर्ट पहुंचे मुस्लिम पक्ष को अदालत ने एक बार फिर नसीहत दी है। कोर्ट ने उन्हें खुद इसके लिए पहल करने की सलाह दी है।
दिल्ली में शाही ईदगाह पार्क में रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाए जाने के विरोध में हाई कोर्ट पहुंचे मुस्लिम पक्ष को अदालत ने एक बार फिर नसीहत दी है। कोर्ट ने खुद पहल करने की सलाह देते हुए शाही ईदगाह प्रबंधन समिति से पूछा कि क्या वे इसके लिए तैयार हैं? सदर बाजार इलाके में ईदगाह से सटे डीडीए के पार्क में मूर्ति लगाए जाने का मुस्लिम पक्ष विरोध कर रहा है।
रानी लक्ष्मी बाई को राष्ट्रीय नायक बताते हुए अदालत ने कहा कि वह कोई धार्मिक शख्सियत नहीं। जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला ने हैरानी जताई कि क्यों समिति की ओर से मूर्ति का विरोध किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा उन वजहों में से एक है जिसकी वजह से पुलिस कमिश्नर को शहर में निषेधाज्ञा का आदेश जारी करना पड़ा है। अदालत ने कहा कि वह टकराव नहीं चाहती है।
मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विराज दतार ने कहा, ‘कोर्ट आदेश दे, इसकी बजाय आपको खुद पहल करनी चाहिए। वह (रानी लक्ष्मीबाई) राष्ट्रीय शख्सियत हैं, धार्मिक नहीं। अपने क्लाइंट से पूछिए क्या वे तैयार हैं। हम नहीं समझ पा रहे हैं कि क्यों भावनाएं इतनी ज्यादा हैं। आज कमिश्नर ने शहर में 144 (बीएनएस में 163) लगाई है और यह भी एक वजह है। हम आपके बहुत साफ तौर पर कह रहे हैं। हम नहीं समझ पा रहे हैं, यह विरोध क्यों?’
बेंच ने कहा, ‘आपको खुद पहल करनी चाहिए। वास्तव में आपको खुद ही आगे आना चाहिए। कोई आपकी प्रार्थना में बाधा नहीं बनना चाहता। हम टकराव नहीं चाहते। आप उन्हें बताइए हम किस तरह इस मामले में बढ़ रहे हैं। इसे टकराव का मुद्दा मत बनने दीजिए। उन्हें भी सहमत होने दीजिए, उन्हें एक चांस दीजिए। मुझे लगता है कि हम इसे सहमति के साथ कर सकते हैं।’
कोर्ट ने समिति के वकील से कहा कि वे निर्देश लेकर आएं। मामले की अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को होगी। इससे पहले हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने भी ईदगाह प्रबंधन के विरोध की दलीलों को खारिज कर दिया था। इसके बाद डबल बेंच के सामने याचिका दायर की गई। गौरतलब है कि इलाके के एक चौराहे से मूर्ति को हटाकर ईदगाह से सटे डीडीए पार्क में स्थापित किया जा रहा है। मुस्लिम इसका विरोध कर रहे हैं। उनकी दलील है कि ईद जैसे मौके पर यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम प्रार्थना के लिए आते हैं। उनका कहना है कि इस्लाम में किसी मूर्ति के सामने सजदा नहीं कर सकते हैं। हाल ही में मुस्लिम समाज के कुछ लोगों ने मूर्ति लगाने के काम में अवरोध पैदा करने की कोशिश की। भीड़ ने मौके पर जाकर सुरक्षाकर्मियों के साथ धक्की मुक्की की थी।
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