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हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से अंबाला-सिटी की सीट सुर्खियों में है। क्योंकि इस सीट से हरियाणा सरकार के मंत्री और सीएम नायब सिंह सैनी के खास असीम गोयल चुनाव मैदान में हैं। यह क्षेत्र एशिया की सबसे बड़ी कपड़ा मार्केट के लिए प्रसिद्ध है।
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वहीं कांग्रेस पार्टी ने निर्मल सिंह पर भरोसा जताया है। जबकि आम आदमी पार्टी ने एडवोकेट केतन शर्मा पर दांव खेला है। बसपा ने मलकीत सिंह को टिकट दिया है। उधर, आजाद समाज पार्टी कांशीराम से पारुल नागपाल उम्मीदवार हैं।
अंबाला शहर सीट पर लगातार दो विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने जीत हासिल की है। इससे पहले 2009 के चुनाव में कांग्रेस के विनोद शर्मा यहां से विधायक चुने गए थे। ये सीट बीजेपी का गढ़ माना जाता है। इस सीट पर पांच बार भाजपा, तीन बार कांग्रेस और एक बार जनता पार्टी अपना कब्जा जमा चुकी है।
अंबाला सिटी क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 2,62,199 हैं। इनमें महिला वोटरों की संख्या 92125 और पुरुष वोटरों की संख्या 99614 है। अंबाला सिटी में अधिकतर व्यापारी और हिन्दू वोट बैंक है। पिछले 2 बार का ट्रेंड देखें तो हिन्दू वोट बैंक में बनिया और पंडित बिरादरी का लाभ तो भाजपा को मिला है। बात करें यदि जाट वोट की तो 20701 वोट हैं। वाल्मीकि भाईचारा में 26244 और हरिजन 26202 मत्तदाता हैं। इन दोनों समुदायों के वोट बसपा और कांग्रेस को जा सकते हैं।
लोगों का कहना है कि लगातार 2 बार विधायक रहने के बाद मंत्री असीम गोयल के सामने एंटी इनकंबेंसी की लहर है। शंभू बॉर्डर के बंद होने से यहां के लोगों और खासकर व्यापारी वर्गों में नाराजगी है। हालांकि घग्गर नदी पर बांध बनने से भाजपा के पक्ष में फैक्टर बन रहे हैं। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि बीजेपी उम्मीदवार यहां केंद्रीय योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने में सफल हुए हैं।
कांग्रेस पार्टी को इस चुनाव में 10 साल के एंटी इनकंबेंसी का फायदा मिल सकता है। वहीं किसान और व्यापारी वर्गों की भाजपा से नाराजगी भी कांग्रेस के पक्ष में वोट बना सकती है। ज्यादातर लोगों का कहना है कि नेता या पार्टी कोई भी हो जो काम करेगा उसे ही वोट देंगे।
4 पॉइंट में समझें अंबाला-सिटी विधानसभा का समीकरण
- अंबाला सिटी में पंजाबी और जाट सिखों के करीब 90 हजार वोट हैं। सबसे ज्यादा 33572 वोट अरोड़ा खत्री समुदाय के हैं। असीम गोयल की हिंदू वोट बैंक पर अच्छी पकड़ है। सीएम नायब सैनी के करीबी होने के कारण लोगों में उनकी अच्छी पैठ भी है।
- बनिया वोट 31350 के साथ यहां दूसरे नंबर पर हैं। तीसरे नंबर पर पंडितों का वोट बैंक 30942 है। 2014 और 2019 में भाजपा के असीम गोयल विजयी रहे हैं। पिछले 2 सालों का ट्रेंड देखें तो हिंदू वोट बैंक में बनिया और पंडित समुदाय का फायदा भाजपा को मिला है।
- अगर जाट वोटों की बात करें तो 20701 वोट हैं। वाल्मीकि भाईचारे के 26244 और हरिजन के 26202 वोटर हैं। इन दोनों समुदायों के वोट बसपा और कांग्रेस को जा सकते हैं।
- आम आदमी पार्टी ने एडवोकेट केतन शर्मा को मैदान में उतारा है। युवा और शिक्षित होने के कारण उन्हें कुछ वोट मिल सकते हैं। बीएसपी के मलकीत सिंह और आजाद समाज पार्टी कांशीराम की पारुल नागपाल को ओबीसी और एससी समुदाय के वोट मिल सकते हैं।
असीम गोयल की हैट्रिक में बाधा बनेगी टूटी सड़कें और जलभराव
अंबाला शहर के लोगों का कहना है कि पिछले 10 सालों में यहां कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं लाया जा सका। जो प्रोजेक्ट चल रहे हैं, वे भी अधूरे हैं। लोगों को कभी भी बुनियादी सुविधाएं भी ठीक से नहीं मिल पाई हैं। टूटी सड़कें और जलभराव से अंबाला शहर के लोग काफी परेशान हैं।
कपड़ा मार्केट में लोगों का कहना है कि बारिश से हुए जलभराव से लाखों रुपये का सामान खराब होने से दुकानदारों में रोष है। वहीं शंभू बोर्ड पिछले कई महीनों से बंद है, जिससे अंबाला शहर में कारोबार खत्म हो गया है। दुकानदार इसके लिए हरियाणा सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। लोगों में रोष है कि हरियाणा सरकार बॉर्डर पर बैठे लोगों से बातचीत नहीं कर रही है। शंभू बॉर्डर बंद होने से व्यापारी अंबाला शहर में प्रवेश भी नहीं कर पा रहे हैं।
भाजपा प्रत्याशी असीम गोयल के बारे में..
असीम गोयल भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। वे 2014 और 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में अंबाला शहर (विधानसभा क्षेत्र) से हरियाणा विधानसभा के लिए चुने गए थे। असीम को 2024 की हरियाणा विधानसभा के लिए भारतीय जनता पार्टी से टिकट मिला है। वे मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के करीबी हैं, जिसके चलते उन्हें कैबिनेट में भी जगह मिली है।
गोयल ने अंबाला शहर के अग्रवाल धर्मशाला में समान नागरिक संहिता पर सामाजिक चेतना संगठन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने की कसम खाई थी और कहा था कि वे इसके लिए “बलिदान देने या लेने के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह दावा करते हुए इस कदम को सही ठहराया कि भारत में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू है।
2009 में कांग्रेस ने बाजी मारी थी
2009 के चुनाव में विनोद शर्मा ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, लेकिन 2014 के चुनाव में उन्होंने एचजेसीपीवी के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा, लेकिन सीट उनके हाथ से फिसल गई। चुनाव में भाजपा को 37.29 फीसदी वोट मिले थे और विनोद शर्मा को 22.89 फीसदी।
2014 में हुआ था रोचक मुकाबला
इससे पहले 2014 के विधानसभा चुनाव भी काफी रोचक रहे थे। इस दौरान पूरे देश में मोदी लहर थी। भाजपा ने असीम गोयल को मैदान में उतारा था। कांग्रेस ने हिम्मत सिंह पर दांव लगाया था। 2009 में इस सीट पर कब्जा होने के बावजूद कांग्रेस उम्मीदवार को न सिर्फ करारी हार का सामना करना पड़ा, बल्कि पार्टी तीसरे स्थान पर पहुंच गई।
चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को 60216 वोट मिले थे। एचजेसीपीवी के उम्मीदवार विनोद शर्मा दूसरे स्थान पर रहे थे। शर्मा को 36964 वोट मिले थे। कांग्रेस के हिम्मत सिंह को 34,658 वोट मिले थे। जीत-हार के बीच 23252 वोटों का अंतर था। इस चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 228573 थी जबकि 161486 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
2019 में निर्मल ने बिगाड़ा था कांग्रेस का खेल
अगर 2019 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस सीट से भाजपा के असीम गोयल को कुल 64896 वोट मिले थे। कांग्रेस से नाराज होकर निर्मल सिंह बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में थे। उन्हें 55944 वोट मिले थे और वे दूसरे स्थान पर रहे थे। कांग्रेस के जसवीर सिंह मल्लौर महज 20091 वोटों पर सिमट गए थे।
निर्मल सिंह ने बनाई थी अपनी पार्टी
नवंबर 2019 में निर्मल सिंह ने अपनी पार्टी हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट बनाई थी। उनके नेतृत्व में पार्टी ने दो साल के अंदर उत्तर हरियाणा के विभिन्न जिलों में अपनी राज्य, जिला, वार्ड और गांव इकाईयों का गठन किया। नई पार्टी ने अंबाला शहर में नगर निगम चुनाव 2020 लड़ा और दो पार्षद सीटों पर जीत हासिल की, जबकि उनके मेयर उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे।
अंबाला सिटी के लोगों से बातचीत
शंभू बॉर्डर बंद होने से खत्म हो गया व्यापार
कपड़ा मार्केट के दुकानदार प्रेम सिंह ने बताया कि शंभू बॉर्डर बंद होने से व्यापारी बुरी तरह तबाह हो गए हैं। चाहे कोई भी सरकार हो, लोगों को सिर्फ आश्वासन ही मिलते हैं। आज हिमाचल और पंजाब से व्यापारी हरियाणा नहीं आ रहे हैं। कई-कई दिनों तक माल के ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं।
दुकानदारों के लिए अपने कर्मचारियों को वेतन देना भी मुश्किल हो गया है। सभी पार्टियों के नेता वोट मांगने आ रहे हैं, लेकिन कोई भी यह स्पष्ट नहीं कर पा रहा है कि बॉर्डर कब खुलेगा। व्यापार मंडल इस समय दोनों पार्टियों के साथ है। ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो इस बार मतदाता कांग्रेस को पसंद कर रहे हैं।
व्यापार न होने से लोग परेशान हैं, सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही- राम सिंह निक्का
व्यापारी राम सिंह निक्का निवासी रविदास माजरी ने बताया कि पिछले 10 सालों में भाजपा को मौका दिया गया, लेकिन इस बार लोग बदलाव चाहते हैं। इस बार लोगों ने कांग्रेस को मौका देने का मन बना लिया है। विकास कार्य न होने से लोगों में रोष है। चाहे कोई भी नेता या पार्टी हो, हम काम करने वाले को ही वोट देंगे।
अंबाला शहर में कुछ काम हुए हैं, कुछ अभी भी अधूरे हैं- पदम खन्ना
किताबों की दुकान चलाने वाले पदम खन्ना ने कहा कि अंबाला में कुछ विकास कार्य हुए हैं, लेकिन कुछ काम अभी भी अधूरे हैं। जिन लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में पता है, वे इसका लाभ उठा रहे हैं, लेकिन जिन लोगों को नहीं पता, वे अभी भी राजनीतिक पार्टियों को दोष दे रहे हैं। जो भी हलके का विधायक बने, उसे सबसे पहले लोगों को केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी देनी चाहिए, ताकि लोग सही तरीके से योजनाओं का लाभ उठा सकें।
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