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इंदौर में 11 किमी के बीआरटीएस कॉरिडोर पर 10 फ्लायओवर बनाने की तैयारी है। इसे लेकर भास्कर ने देश की ब्रिज सिटी के नाम से मशहूर सूरत और नागपुर के एक्सपर्ट्स के साथ ही इंदौर के एक्सपर्ट से समझा कि फ्लायओवर, एलीवेटेड कॉरिडोर और बीआरटीएस में से बेहतर विकल
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एक्सपर्ट्स ने बताया, फ्लायओवर जंक्शन पर ट्रैफिक जाम को खत्म करने का सबसे बेहतर विकल्प है। इससे ट्रेवल टाइम कम हो जाएगा। वहीं एलीवेटेड कॉरिडोर की जरूरत अभी इंदौर को नहीं है। इंदौर में जहां फ्लायओवर बन रहे हैं, वहां बीआरटीएस की आवश्यकता कम है।
सूरत में 124 ब्रिज, जिसमें 28 फ्लायओवर, जाम नहीं लगता
सूरत में देश में सबसे ज्यादा 124 ब्रिज बनाए गए हैं। इनमें 28 तो सिर्फ फ्लायओवर्स हैं। सूरत में ट्रैफिक जाम की समस्या है, पर फ्लायओवर्स जहां हैं, वहां पर ट्रैफिक जाम की समस्या कम आती है।
नागपुर में थ्री लेयर फ्लायओवर, दो लेयर पर ट्रैफिक, ऊपर मेट्रो
नागपुर में ट्रैफिक को लेकर देश में सबसे ज्यादा काम चल रहा है। पीआरओ मनीष सोनी ने बताया, यहां दो फ्लायओवर थ्री लेयर हैं, जहां पर दो लेयर पर ट्रैफिक चलता है और सबसे ऊपर मेट्रो।
इंदौर : फ्लायओवर से होगी लोगों के समय की बचत
- इंदौर में 85 चौराहों पर सिग्नल हैं, जहां पीक ऑवर्स में औसत 3 मिनट रुकना ही पड़ता है। {तीसरे ग्रीन सिग्नल में चौराहा पार हो पाता है।
- बीआरटीएस पर आई-बस में एक घंटा लग रहा है, निजी वाहन से 40-45 मिनट लगते हैं।
- एमजी रोड और जवाहर मार्ग पूरा पार करने में भी 40 से 45 मिनट का समय लगता है।
बंगाली ब्रिज से बच रहे 4 मिनट
- बंगाली और पीपल्याहाना चौराहा 10 सेकंड में चौराहा पार हो जाता है। 3 से 4 मिनट बचते हैं।
- फ्लायओवर पर जाम तभी लगता है जब डायवर्शन हो या एक्सीडेंट हो जाए।
- एक ही रोड पर दो लेयर में दोगुने वाहन निकल सकते हैं। ईंधन की बचत भी होती है।
एलीवेटेड यहां क्यों सफल नहीं
ये नासिक और जालंधर में ज्यादा हैं। वे सफल इसलिए हैं क्योंकि वहां ट्रैफिक का बड़ा हिस्सा पूरी आबादी को क्रॉस कर दूसरी तरफ जाता है।
- इंदौर में ऐसी एक भी रोड ऐसी नहीं है, जहां पूरा ट्रैफिक एक से दूसरी छोर पर जा रहा हो। ज्यादातर ट्रैफिक बीच के रास्तों में बंट जाता है।
- बीआरटीएस पर फ्लायओवर बनने से बसों का अलग कॉरिडोर नहीं हो सकेगा और बसों में समय ज्यादा लगने से यात्री दूर हो सकते हैं।
भास्कर एक्सपर्ट- जयांग जीवनजीरामजीवाला (ईई ब्रिज सेल, सूरत नगर निगम)
नरेश बोरकर (सुप्रींटेंडेंट इंजीनियर, नागपुर एनएचएआई), अतुल सेठ (सीनियर आर्किटेक्ट)
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