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बेरूत में इजरायल के हवाई हमलों के कारण लोग दहशत में हैं। कई परिवार बेघर हो गए हैं और सड़कें और समुद्र तट अस्थायी आश्रय बन गए हैं। स्कूलों को विस्थापितों के लिए खोला गया है, लेकिन कई लोग मदद के बिना…
शब्द : 429 – धुएं के गुबार में ढंका शहर, लोग सड़कों पर रहने को मजबूर
बेरूत, एजेंसी।
इजरायल के ताबड़तोड़ हवाई हमलों के बाद बेरूत में लोग दहशत में हैं। शनिवार सुबह तक पूरा शहर धुएं के गुबार से ढंका रहा। इजराइल की भारी बमबारी से बचने के लिए अपने घर छोड़कर भागे कई लोग बेघर हो गए। जिनके घर पूरी तरह नष्ट हो गए, अब वे समुद्री किनारों और सड़क पर रहने को मजबूर हैं।
भयावह मंजर के गवाह बने लोगों ने बताया कि यह एक पीड़ादायक रात थी। हवाई हमलों के बाद भूकंप जैसे झटकों से थर्राए शहर में बाहर निकलना मुश्किल था। स्कूल-आश्रय स्थल लोगों से खचाखच भरे पड़े हैं। सुबह तक सैकड़ों परिवार बेरूत के आसपास सार्वजनिक चौराहों, समुद्र तटों पर या अपनी कारों में सोने को मजबूर थे। नवजात शिशुओं के साथ लोगों की कतारें पहाड़ी क्षेत्रों की ओर बढ़ती नजर आ रही थी।
इजराइल ने बेरूत के दक्षिणी किनारे पर स्थित घनी आबादी वाले उपनगर दहियाह के विभिन्न हिस्सों पर हमले किए। एक सीरियाई शरणार्थी फातिमा चाहिन ने बताया कि उन्होंने अपने परिवार और सैकड़ों लोगों के साथ बेरूत में रामलेट अल-बायदा सार्वजनिक समुद्र तट पर जागकर रात बिताई। उन्होंने कहा, भगवान का शुक्र है कि कोई घायल नहीं हुआ।
सरकार ने विस्थापितों को शरण् देने के लिए बेरूत में स्कूल खोले हैं। लेकिन चाहिन ने बताया कि उन्हें सिर्फ इसलिए वहां नहीं रहने दिया गया क्योंकि वह जगह लेबनानी लोगों के लिए आरक्षित थी। इसके बाद उनका परिवार सीधे समुद्र तट पर आ गया। उन्होंने कहा, हम केवल ऐसी जगह चाहते हैं जहां हमारे बच्चे डरें नहीं। हम बच्चों की वजह से 2011 में सीरिया में युद्ध से भागकर यहां आए और अब यहां भी वही हो रहा है।
बेरूत में खुली सड़कों पर सो रहे विस्थापितों ने बताया कि उन्हें किसी मानवीय संगठन से सहायता नहीं मिली है। मनारा के समुद्र तटीय इलाके में नेजमेह सॉकर क्लब के स्वामित्व वाले एक स्टेडियम ने विस्थापितों के लिए अपने दरवाजे खोले दिए, जिन्होंने ब्लीचर्स (स्टेडियम के किनारे बैठने की जगह) पर सोकर रात बिताई। इनमें मरियम दरविश, उनके पति और पांच बच्चे भी शामिल थे। वह सप्ताह की शुरुआत में इजरायल की ओर से दहियाह में किए गए पहले हमले के बाद अपने घर से भाग गई थीं। दरविश ने कहा कि उन्हें सॉकर क्लब से पानी मिला लेकिन कोई भी संगठन भोजन, कंबल या अन्य जरूरी सामान देने नहीं आया। उन्होंने बताया कि लोग एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं।
लेबनान के अधिकारियों के मुताबिक, बीते सोमवार से अब तक 22 हजार से अधिक सीरियाई नागरिक अपने देश की सीमा में लौट चुके हैं।
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