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कोलंबो: अनुरा कुमारा दिसानायके के श्रीलंका में राष्ट्रपति बनते ही एक्शन दिखने लगा है. श्रीलंका में नई सरकार बनने के बाद से ही सैकड़ों महंगी सरकारी गाड़ियां राजधानी कोलंबो में इधर-उधर लावारिस हालत में खड़ी मिली हैं. राष्ट्रपति दिसानायके की पार्टी के एक मेंबर ने बुधवार को ये जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सैकड़ों सरकारी महंगी गाड़ियां तो गायब भी हैं. अनुरा कुमारा दिसानायके की जनता विमुक्ति पेरामुना यानी जेवीपी पार्टी के मेंबर वसंथा समरसिंघे ने बताया कि पुरानी सरकार के बड़े-बड़े नेता और अफसर सरकारी कारों और SUV को बिना कोई सूचना अथवा हैंडओवर दिए छोड़कर चले गए.
बताया गया कि नेता-अफसर राष्ट्रपति दफ्तर के बाहर भी गाड़ी छोड़कर जा रहे हैं. चाबियां का भी कोई अता-पता नहीं. इस बेड़े में टोयोटा की लैंड क्रूजर और दूसरी महंगी गाड़ियां शामिल हैं. जेवीपी नेता समरसिंघे ने मीडिया को बताया कि हमारी सरकार ने इस बात की जांच शुरू कर दी है कि इन गाड़ियों को किसने छोड़ा और किसके कहने पर उनका इस्तेमाल किया गया. हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि गाड़ियों के साथ चाबियां छोड़ी गई थीं या नहीं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति सचिवालय में पंजीकृत 833 गाड़ियों के बेड़े में से 253 का कोई पता नहीं है.
अब सवाल है कि आखिर श्रीलंका में ऐसा क्यों हो रहा है. क्या अनुरा कुमारा दिसानायके के श्रीलंका के राष्ट्रपति बनने की वजह से नेता और अफसर ऐसा कर रहे हैं? अनुरा कुमारा दिसानायके ने शनिवार को हुए चुनाव में जीत हासिल की. उन्होंने देश की राजनीतिक संस्कृति को बदलने और भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग से निपटने का वादा किया था. स्थानीय चुनाव पर्यवेक्षकों ने बताया कि शांतिपूर्ण मतदान के दौरान सरकारी वाहनों और दूसरे सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग की शिकायतें मिली हैं. कई नेता और अफसर पर्सनल यूज के लिए सरकारी गाड़ियों का इस्तेमाल किया.
मार्च 2020 में श्रीलंका में गाड़ियों का आयात बैन कर दिया गया था. इसकी वजह से देश में गाड़ियों की कीमतें आसमान छू रही हैं. मार्च 2020 में श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से घट रहा था. इसी कारण खाने-पीने के सामान, ईंधन और दवाइयों की भारी किल्लत हो गई थी. एक 10 साल पुरानी टोयोटा एसयूवी की कीमत करीब 150,000 डॉलर (करीब 12,551,827 रुपए) है, जबकि पांच साल पुरानी रेंज रोवर की कीमत 300,000 डॉलर से भी ज्यादा है.
विदेशी मुद्रा संकट के कारण आई आर्थिक तबाही के दौरान महीनों तक सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हुए. जुलाई 2022 में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर धावा बोल दिया. इसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को इस्तीरा देकर देश छोड़कर भागना पड़ा था. उनके उत्तराधिकारी रानिल विक्रमसिंघे ने आईएमएफ से 2.9 बिलियन डॉलर का बेलआउट हासिल किया और कठोर आर्थिक उपाय पेश किए. इस दौरान कार आयात पर लगे प्रतिबंध को भी बरकरार रखा गया.
Tags: International news, World news
FIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 12:47 IST
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