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मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के करीब साढ़े 9 साल सीएम रहे। उन्होंने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सीएम पद से इस्तीफा दिया था और फिर विधायकी भी छोड़कर करनाल से लोकसभा चुनाव लड़े। उनके ही शिष्य कहे जाने वाले नायब सिंह सैनी को पार्टी ने हरियाणा में मुख्यमंत्री बना दिया। भले ही सीएम नायब सिंह सैनी को कुर्सी पर बैठे 6 महीने ही हुए हैं, लेकिन चुनाव के प्रचार में वही छाए हुए हैं। वहीं मनोहर लाल खट्टर को भाजपा पोस्टरों, बैनरों से लेकर बड़ी रैलियों तक से दूर रख रही है। पीएम नरेंद्र मोदी ने दो बड़ी रैलियां हरियाणा में अब तक की हैं, जिनमें पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर दिखाई नहीं दिए।
करीब एक दशक सीएम रहे खट्टर को प्रचार से यूं दूर रखना कोई अनायास नहीं है। इसे बाकायदा एक रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि मनोहर लाल खट्टर को लेकर कई हलकों में गहरी नाराजगी है। ऐसे में उन्हें रैलियों के मंच और पोस्टरों से दूर ही रखा जा रहा है ताकि लोगों का ध्यान खट्टर की बजाय सैनी और पीएम नरेंद्र मोदी की ओर आकर्षित किया जा सके। यह स्थिति मनोहर लाल खट्टर के गढ़ कहे जाने वाले करनाल के असंध में भी दिखी है। हाल ही में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की यहां रैली थी, जिसमें पीछे लगे बैनर में मनोहर लाल खट्टर को जगह नहीं मिली।
दिलचस्प बात यह है कि मनोहर लाल खट्टर ही वह नेता हैं, जिन्होंने हरियाणा की नौकरियों में बिना खर्ची और बिना पर्ची के नियुक्ति की बात की। उन्होंने मेरिट के आधार पर भर्तियों को बढ़ावा दिया। इसके बाद भी खट्टर से दूरी बनाने की कई वजहें बताई जा रही हैं। एक वजह यह है कि वह पंजाबी चेहरे हैं और जाट बहुल क्षेत्रों में उनकी लोकप्रियता काफी कम है। इसलिए खासतौर पर पानीपत, सोनीपत, झज्जर, रोहतक आदि से मनोहर लाल खट्टर को दूर रखा जा रहा है। वहीं 10 साल के शासन में मनोहर लाल खट्टर की छवि किसान समुदायों के बीच भी बहुत अच्छी नहीं बन सकी। इसलिए राज्य के अन्य हिस्सों में भी खट्टर को सीन से अलग रखा जा रहा है।
वहीं कांग्रेस ने इसे एक मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है। कांग्रेस का कहना है कि यदि भाजपा को मनोहर लाल खट्टर के शासनकाल पर इतना ही गर्व है तो फिर मनोहर लाल खट्टर पोस्टरों तक से गायब क्यों हैं। वहीं भाजपा का इस पर जवाब है कि मनोहर लाल खट्टर अब केंद्रीय मंत्री हैं। राज्य से और नेता भी केंद्रीय मंत्री हैं। यदि खट्टर को पोस्टरों में जगह दी गई तो फिर अन्य नेताओं को लेकर भी ऐसी मांग उठेगी। शायद इसीलिए मनोहर लाल खट्टर को भी पोस्टरों में शामिल नहीं किया गया। इसकी बजाय पूरा फोकस केंद्रीय नेतृत्व और राज्य नेतृत्व पर है।
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