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ग्रैंडमास्टर विदित गुजराती ने बुडापेस्ट में शतरंज ओलंपियाड में भारत की पुरुष टीम के साथ स्वर्ण पदक जीता। बचपन में क्रिकेटर बनने का सपना देखने वाले विदित ने शतरंज को संयोगवश चुना और अब वह इस खेल में…
नई दिल्ली, एजेंसी। ग्रैंडमास्टर विदित गुजराती बचपन में हर भारतीय बच्चे की तरह क्रिकेटर बनने का सपना देखते थे। संयोग से उनकी दिलचस्पी शतरंज में होने लगी और अब उन्हें लगता है कि यह बहुत सुखद संयोग था। वह बुडापेस्ट में ओलंपियाड में ओपन वर्ग में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने वाली पांच सदस्यीय भारतीय पुरुष टीम का हिस्सा थे। यह उपलब्धि और भी यादगार बन गई क्योंकि भारतीय महिला टीम ने भी स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने कहा, मैं शतरंज में संयोग से आया। जब मैं छह साल का था तो बहुत शरारती था। मेरे माता-पिता मुझे किसी गतिविधि में शामिल करना चाहते थे। मैं हर भारतीय बच्चे की तरह क्रिकेट खेलता था। वह मुझे एक क्लब में ले गए और वहां सीजन बॉल के साथ क्रिकेट खेला जाता था। इसलिए मेरे पापा ने कहा कि एक साल रुक जाओ और फिर क्रिकेट खेलो। तब तक कोई दूसरा खेल चुनो। इसलिए मैंने शतरंज खेलना शुरू कर दिया।
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