[ad_1]
ऐसा नहीं है कि किसी खास दल में ही जेसीबी मशीनों के प्रति रुझान बढ़ा है बल्कि सभी दल पार्टी लाइन से हटकर नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच फूल बरसाने और जनसभाओं में बड़ी भीड़ जुटाने के लिए जेसीबी मशीन का इस्तेमाल कर रहे हैं।
हाल के दिनों में बुलडोजर ऐक्शन को लेकर कई राज्यों में सियासी बवाल मच चुका है लेकिन अब वही बुलडोजर चुनावी शान का प्रतीक बन गया है। हरियाणा में 5 अक्तूबर को सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। उससे पहले सभी सियासी दल चुनावी सभाएं करने में मशगूल हैं। सभी दलों ने अपने क्षेत्रीय नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनावी रैलियों में भीड़ जुटाने के निर्देश दिए हैं। इन सबके बीच हरियाणा में जेसीबी मशीनों (बुलडोजर) की मांग बढ़ गई है क्योंकि उन मशीनों का इस्तेमाल निर्माण कार्य में ना होकर फिलहाल चुनावी रैलियों और जनसभाओं में किया जा रहा है।
इसकी वजह से हरियाणा के शहरी इलाकों खासकर गुरुग्राम, फरीदाबाद, नूंह और महेंद्रगढ़ समेत कई इलाकों में निर्माण उद्योग खासकर रियल्टी सेक्टर अर्थ मूवर्स (जेसीबी) की कमी झेल रहा है। गुरुग्राम के एख जेसीबी सप्लायर के मुताबिक, उन्होंने अपनी सारी जेसीबी मशीनों को रियल्टी सेक्टर से हटाकर चुनावी ड्यूटी में लगा दिया है क्योंकि रियल्टी सेक्टर में ये मशीनें 1,000 से 1,500 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से किराया वसूल करती हैं, जबकि राजनेता उन्हें 5,000 रुपये प्रति घंटा की दर से भुगतान कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा नहीं है कि किसी खास दल में ही जेसीबी मशीनों के प्रति रुझान बढ़ा है बल्कि सभी दल पार्टी लाइन से हटकर नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच फूल बरसाने और जनसभाओं में बड़ी भीड़ जुटाने के लिए जेसीबी मशीन का इस्तेमाल कर रहे हैं। कुल मिलाकर देखें तो जेसीबी मशीनों ने हरियाणा चुनाव में प्रचार की शैली को बदल दिया है। ट्रिब्यून इंडिया ने गुरुग्राम के विजय यादव के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा है कि चुनावी मौसम में जेसीबी का क्रेज सभी पर छाया हुआ है।
यादव ने अखबार को बताया कि नामांकन दाखिल करने के बाद से ही सभी जेसीबी मशीनें बुक हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि वे सिर्फ जेसाबी का ड्राइवर ही नहीं, बल्कि ऐसे लोग भी रखते हैं जो ऊपर से भीड़ और नेताओं पर फूल बरसा सकें। इसके लिए वे अतिरिक्त शुल्क लेते हैं। यादव ने बताया कि उनके पास 10 जेसीबी मशीनें हैं। चुनाव से पहले अधिकांश मशीनें द्वारका एक्सप्रेसवे के किनारे आवासीय परियोजनाओं के निर्माण में लगे थे लेकिन अब सभी को वापस बुलाकर चुनावी कामों में लगा दिया गया है क्योंकि वे तीन गुना अधिक कमाई दे रहे हैं। राजस्थान से सटे इलाकों में तो राजस्थान से जेसीबी मंगावाए जा रहे हैं।
बता दें कि इससे पहले किसान संगठनों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान इसी तरह से जेसीबी मशीनों का इस्तेमाल भीड़ जुटाने और रोड को ब्लॉक करने समेत कई कामों के लिए किया था।
[ad_2]
Source link