राजेश तिवारी/अजित सिंह (संवाददाता)
ओबरा / सोनभद्र-जिले के ओबरा की खदानों से निकलने वाले ट्रिपर और अन्य बड़े वाहन बड़े हादसे को अंजाम दे रहे हैं।इसी क्रम में बतातें चलें कि क्षमता से अधिक बोल्डर लादकर कस्बे की सड़कों पर दौड़ रहे ट्रिपर और अन्य बड़े वाहनों से गिरने वाले बोल्डर छोटी वाली हाफ इंची गिट्टी भस्सी सड़क पर इधर-उधर बिखरे पड़े हुए हैं। जिनसे आवागमन में परेशानी होने के साथ-साथ इन वाहनों से बराबर दुर्घटना का भी अंदेशा बना रहता है। मिली जानकारी के अनुसार ओवरलोड बोल्डर लदे वाहनों पर सुरक्षा के कोई भी बंदोबस्त ना होने से सड़क पर ब्रेकर या गड्ढा व ब्रेकर पर आने, हिचकोले लेने पर बोल्डर या गिट्टी छिटकर गिरने का भय बना रहता है। ऐसे में वाहनों के पीछे और बगल से गुजरने वाले छोटे वाहनों कार,आटो,बाइक सवार तथा पैदल जा रहे लोगों को अधिक खतरा बना रहता है। मजे की बात है कि इस पर किसी भी अधिकारी व संबंधित महकमे के लोगों का ध्यान ना जाने से ऐसे वाहन चालक सुरक्षा नियमों को ताख पर रखते हुए धड़ल्ले से परिवहन किया जाता है। ओबरा,डाला,की सड़कों पर दौड़ रहे हैं,जिनसे बराबर जान माल का लोगों को खतरा बना रहता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ओबरा कस्बे से होकर मुख्य मार्ग हाईवे पर आने वाले मार्ग बघ्घानाला, शारदा मंदिर, बिल्ली चढ़ाई ,बिल्ली स्टेशन गजराज नगर डाला रोड रेलवे क्रॉसिंग के आसपास में सड़कों की दोनों पटरियों पर बोल्डर छोटी वाली गिट्टी धूल बस्सी के बिखरे हुए ढ़ेर को देखा जा सकता है। गुजरना होता है, रोड़ों के किनारे ।आने जाने वाले राहगीरों को प्रदूषण झेलना पड़ता है।लेकिन किसी अधिकारी को नज़रें इस पर नहीं पड़ती हैं। पूर्व में कई लोग रात्रि के समय सड़क की पटरियों पर बिखरे खदानों से निकलने वाले पत्थर के बोल्डर से टकराकर घायल भी हो चुकें हैं बावजूद इसके ऐसे लोगों पर न तो कोई कार्रवाई हो रही है ना ही ऐसे वाहनों पर नकेल कसी जा रही है।आशंका जताई जा रही है कि शायद किसी बड़े हादसे के बाद ही प्रशासन का नजरें इस ओर आकर्षित कर रही है ।वहीं धूल से बचने के लिए नहीं होता पानी का छिड़काव जैसे कि
खदानों, क्रेशर प्लांट से निकलने वाले खनिजों से उड़ने, गिरने वाले डस्ट कण सड़कों की दोनों पटरियों पर जमा होकर आवागमन में जानलेवा साबित हो रहा हैं तो दूसरी ओर उड़ने वाले धूल कण लोगों को सांस लेने में तकलीफ़ पैदा कर रहे हैं। आसपास के लोगों का कहना है कि इसके रोकथाम के लिए पानी का छिड़काव भी नहीं होता है। दिखावे और खानापूर्ति के लिए जब अधिकारी दौरे पर रहते हैं तो पानी का छिड़काव सुबह शाम देखने को मिलता है। जैसे ही अधिकारी जाते हैं वैसे ही पानी का छिड़काव भी बंद हो जाता है। सड़क की पटरियों पर जमें धूल और बालू इत्यादि के कड़ आवागमन में बाधक बने होने के साथ-साथ दुर्घटना का कारण भी बन रहे हैं।सूत्र बतातें हैं कि इन वाहन चालकों द्वारा बख्शीश के चक्कर में ड्राइवर को हर चक्कर का बख्शीश मिलता है जो₹20 से लेकर ₹50 इन्हीं सब कारणों की वजह से तेज रफ्तार से चलते हैं ताकि जितना ज्यादा चक्कर लगे उतना उनको फायदा होगा। जानकारों का कहना है कि ज्यादा चक्कर लगाने खदान मालिक भी खुश, क्रेशर मालिक भी खुश और ड्राइवर भी खुश हो जाते हैं।ऐसे में तेज रफ्तार कमाई से जुड़ गया भले ही किसी के अंग-भंग हो जाए इससे इन्हें कोई लेना देना नहीं उनके सामने जो भी आएगा उसे कुचल कर मौके से अक्सर ड्राइवर फरार हो जाते हैं या खदान, क्रेशर प्लांट मालिक रुपयों और ऊंचे रसूख के बल पर उनकी आवाज को दबा दिया जाता है। और वहीं स्थानीय लोगों ने बताया कि गाड़ी में ओवरलोड बोल्डर के साथ ओवरटेक किया करते हैं। जिससे पशु, साइकिल, मोटरसाइकिल चलने वाले लोगों का और आसपास के ग्राम वासियों का भय का माहौल बना हुआ है। रोड पर पत्थर गिरने से आने-जाने वाले लोगों को इन वाहनों से खतरा बना रहता है। वहीं छोटे वाहनों पर पत्थर, बोल्डर पर बड़े वाहन से गिरने से छोटे वाहनों को भी खतरा बना रहता है। रोड के किनारे बस्सी, गिट्टी, बौल्डर से आम लोगों का जीना मुहाल हो गया है और वहीं दूसरी ओर आने जाने वाले लोगों को प्रदूषण से शरीर पर सफेद धूल से ढक जाता है।