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अदालत(सांकेतिक)
– फोटो : अमर उजाला
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 50 रुपये के लेनदेन में 24 साल पहले युवक की हुई हत्या में आजीवन कारावास की सजा पाए नौ लोगों को बेगुनाह करार दिया। कोर्ट ने गवाहों के बयानों को विश्वसनीय नहीं माना। यह फैसला न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति समित गोपाल की खंडपीठ ने आरोपी लल्ली सिंह व आठ अन्य की ओर से दाखिल अलग-अलग अपीलों पर एक साथ हुई सुनवाई के बाद दिया है।
मामला कानपुर के बिधनू थानाक्षेत्र का है। 10 जुलाई 2001 को सिपाई गांव के बाबू उर्फ मुंशी श्याम सुंदर ने बेटे आजाद की हत्या के आरोप में गांव के ही सात लाेगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें हरनाम सिंह, इंद्र बहादुर, घनश्याम, वीरेंद्र, लल्ली, जयकरन एवं झल्लर का नाम शामिल था। विवेचना के दौरान शिव नाथ यादव, पप्पू यादव, चालू यादव, राम चंद्र यादव और झंडे यादव, शिव कुमार का नाम प्रकाश में आया। वादी ने आरोप लगाया था कि दूध के 50 रुपये के लेनदेन को लेकर दो माह पहले सीधी बाजार में उसके पुत्र नरेंद्र और हरमन सिंह के पौत्र दिनेश उर्फ टोपीलाल के बीच मारपीट हुई थी।
नौ जुलाई 2001 की रात उसका पुत्र आजाद नलकूप पर गया था, जहां हरनाम सिंह से उसका फिर विवाद हुआ। इसके बाद हरनाम के पुत्र इंद्र बहादुर, घनश्याम अपने साथी वीरेन्द्र, लल्ली, जय करन, झल्लर के साथ आजाद पर बरछी व तमंचे से हमला कर उसकी हत्या कर दी।
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