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उदयपुर से 45 किमी दूर गोगुंदा ग्राम पंचायत के 3 गांवों में आदमखोर लेपर्ड का आतंक है। अब तक 3 लोगों का शिकार कर चुका है। पूरे इलाके में दहशत है। लोग अपने घरों से नहीं निकल रहे हैं। जरूरी काम से निकलना भी पड़ता है तो ग्रुप बनाकर निकलते हैं।
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वन विभाग और आर्मी की टीम ने सर्च ऑपरेशन चला रखा है। नाइटविजन दूरबीन से 19 सितंबर की रात 3 लोकेशन पर निगरानी की, लेकिन लेपर्ड का सुराग नहीं मिला। भास्कर टीम हमले के शिकार लोगों के गांव पहुंची। उनके परिवार से मिली। उस जंगल को भी देखा, जहां लेपर्ड का मूवमेंट है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
ये उदयपुर शहर से 45 किमी दूर गोगुंदा छाली ग्राम पंचायत के घने जंगल की फोटो है। लेपर्ड का इन्हीं जंगलों में मूवमेंट है।
लेपर्ड के हमले का शिकार लोग-
1- 19 सितंबर की सुबह 8 बजे उंडीथल गांव की रहने वाली कमला (16) जंगल में बकरी चराने गई थी। उसका हाथ, मुंह खाया हुआ शव झाड़ियों में मिला।
2- 19 सितंबर की ही शाम 6:30 बजे भेवड़िया गांव के रहने वाले खुमाराम गमेती (45) को लेपर्ड ने अपना शिकार बनाया।
3- 20 सितंबर की सुबह 11 मलारिया खुर्द गांव की महिला पर हमला किया। उसने भागकर अपनी जान बचाई।
4- 20 सितंबर की शाम 6:30 बजे उमरिया गांव की महिला को शिकार बनाया।
पहाड़ी और घने जंगलों के बीच है गांव उदयपुर शहर से 45 किमी दूर गोगुंदा तहसील है। तहसील मुख्यालय से 20 किमी छाली ग्राम पंचायत में लेपर्ड का मूवमेंट है। यहां के घने जंगल में आदमखोर लेपर्ड रहता है। हमारी टीम यहां के सरपंच गणेशलाल खेर से मिली। सरपंच ने बताया- दो दिन में चार हमले गोगुंदा की छाली ग्राम पंचायत में हुए हैं। इस पंचायत में 5 राजस्व गांव उंडीथल, कडेचावास, भेवड़िया, छाली और बागदड़ा आते हैं। छाली पंचायत की रेंज करीब 15 किमी में फैली है।
इसके 20 से 25 प्रतिशत हिस्से में करीब 6 हजार की आबादी निवास करती है। बाकी एरिया में पहाड़ी और घने जंगल हैं। पूरा एरिया आदिवासी बहुल है जहां छितरी आबादी में लोग निवास करते हैं। दो से तीन घर 500-500 मीटर दूर या इससे ज्यादा दूरी पर बने हैं। एक तरह से लोग जंगल के बीच में ही रह रहे हैं। घर के चारों ओर जंगल है। गांव की सड़कों पर भी लाइट नहीं है। शाम होने के बाद लोग घरों से बाहर नहीं निकलते।
1- उंडीथल गांव
पहाड़ी पर केवल एक-दो घर
लेपर्ड ने छाली ग्राम पंचायत के भेवड़िया और उंडीथल गांव में लोगों को अपना शिकार बनाया है। सबसे पहले हम जंगल के बीच से गुजरते हुए उंडीथल गांव के अमला का पानी फले में पहुंचे। यहां 19 सितंबर को 16 साल की नाबालिग लड़की कमला कपाया को लेपर्ड ने मार दिया था।
हम चारों ओर घने जंगल और पहाड़ी से गुजर रहे थे। इस बीच दूर पहाड़ी पर एक-दो घर नजर आए। आगे गाड़ी से जाने का रास्ता नहीं था। नाबालिग (मृतक) के घर से एक किमी पहले गाड़ी खड़ी कर पैदल रवाना हुए। घने जंगल के बीच एक छोटी सी पहाड़ी पर कमला का घर था।
बच्ची के घर पर वन विभाग के अफसर और पुलिस पहले से मौजूद थी। वे परिवार को सरकारी मुआवजे और लेपर्ड को जल्द पकड़ने का आश्वासन दे रहे थे। हमने परिवार से बात कर पूरी घटना की हकीकत जानने की कोशिश की।
उड़ीथल गांव में 16 साल की लड़की कमला के परिवार वाले मायूस हैं। लेपर्ड के हमले के बाद पूरे गांव में दहशत है।
बकरी चराने गई, वापस नहीं लौटी बेटी लेपर्ड का शिकार हुई लड़की के ताऊ भंवरलाल ने बताया- कमला दो बहन और दो भाइयों में सबसे छोटी थी। दोनों भाई गुजरात में काम करते हैं और बड़ी दोनों बहनों की शादी हो चुकी है। पिछले 3 महीने से कमला ही बकरी चराने जा रही थी। उससे पहले उसकी मां जाती थी, लेकिन उनकी तबीयत लगातार खराब रहने के कारण कमला जाने लगी।
वह सुबह 11 बजे बकरी-गाय चराने जाती थी और शाम करीब 5 बजे घर लौटकर आती थी। हमले वाले दिन 19 सितंबर को वह रात तक घर नहीं आई। टॉर्च लेकर उसकी तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला।
लेपर्ड ने झाड़ियों में हमला कर घसीटा शव परिवार ने ग्रामीणों के साथ सुबह वापस कमला की तलाश शुरू की। गांव के ही वेणीराम कहते हैं- हमें पहाड़ी पर एक पत्थर के पास बच्ची की चप्पल और खून के निशान दिखे थे। वहां से बच्ची को घसीटने के निशान को देखते हुए हम 700मी. दूर झाड़ियों तक पहुंचे।
झाड़ी इतनी गहरी और छोटे पेड़ों से ढकी थी कि हमें उसके अंदर बैठकर व झुक-झुककर जाना पड़ा। तब झाड़ियों में कमला शव दिखा। उसका एक हाथ कटा था और शरीर को बुरी तरह नोच रखा था। कमला 9वीं क्लास तक पढ़ी थी।
कमला का शव उसके घर से करीब 1 किमी दूर जंगल से लकड़ी पर कपड़े में लटकाकर इस तरीके से लाया गया था। उंडीथल गांव में पगडंडी का रास्ता है। जंगल तक गाड़ियों नहीं पहुंच पाती हैं।
2- भेवड़िया गांव
12 साल का बेटा बोला- पापा पर चीते ने हमला किया
इसके बाद डेढ़ किमी दूर भेवड़िया गांव गए। इस गांव के खुमाराम गमेती (45) को लेपर्ड ने अपना शिकार बनाया है। जंगल के बीच 4 से 5 पांच घर थे। भास्कर टीम पहुंची तब, अंतिम संस्कार की तैयार चल रही थी। खुमाराम गमेती (मृतक) के चाचा खेमाराम (70) अपने भतीजे की मौत का जिक्र करते हुए रो पड़े।
खेमाराम कहते हैं- भतीजा खुमाराम अपने 12 साल के बच्चे के साथ खेत से बकरियों को लेने गया था। तब उस पर लेपर्ड ने हमला कर दिया। उसका बेटा जैसे-तैसे जान बचाकर दौड़ते हुए घर आया और बोला- पापा पर चीते ने हमला कर दिया। इसके बाद हम सब दौड़ते हुए खेत में पहुंचे, लेकिन खुमाराम की जान जा चुकी थी।
तीन महीने पहले वन विभाग को बताया था खेमाराम ने बताया- 3 महीने पहले भी यहां लेपर्ड दिखा था। इसकी जानकारी वन विभाग को दी गई थी। वन विभाग की टीम यहां आई, लेकिन लेपर्ड को पकड़ने के लिए ज्यादा प्रयास नहीं किया। अगर उसे पहले ही पकड़ लेते तो आज ये मौतें नहीं होतीं।
इस दौरान ही पता चला कि भेवड़िया गांव से 3 किमी दूर मलारिया खुर्द में खेत में बैठी एक महिला पर लेपर्ड ने हमला करने की कोशिश की। ग्रामीणों के साथ हमारी टीम वहां के लिए रवाना हो गई। वहां ग्रामीणों से बात के बाद हम वापस शहर लौटे। रास्ते में ही फोन पर पता चला कि लेपर्ड ने भेवड़िया गांव से डेढ़ किमी दूर उमरिया गांव में एक और महिला को मार डाला। शाम 4 बजे गोगुंदा मुख्यालय पहुंचे।
लेपर्ड के शिकार लोगों के घर जाकर पुलिस ने जल्द उसे पकड़ने का आश्वासन दिया।
3- उमरिया गांव
महिला को जबड़े में दबाकर ले गया ऊपर दोनों हमले 19 सितंबर के हैं। इसके दूसरे दिन भी लेपर्ड ने एक महिला को नोंच खाया। हमेरी भील (50) पत्नी नाना गमेती 20 सितंबर की शाम करीब 4 बजे घर से थोड़ी दूर जंगल के पास स्थित खेत में चारा काट रही थी। वह बकरियों को भी अपने साथ लेकर गई थी। इससे थोड़ी दूरी पर गांव के कुछ महिला-पुरुष भी चारा काट रहे थे। इस दौरान पीछे से आए लेपर्ड ने हमेरी बाई पर हमला कर दिया और उसे जबड़े में दबोचकर झाड़ियों में ले गया। इसी दिन मलारिया गांव में एक महिला पर हमला करने की कोशिश की। उसने भागकर अपनी जान बचाई।
घर से बाहर निकलने से डर रहे लोग ग्रामीण भेरूलाल ने बताया- दो दिन में 3 मौत के बाद यहां लोग डरे हुए हैं। हमारा घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। जरूरी काम हो तो एक-दो लोगों के साथ बाहर निकल रहे हैं। लेपर्ड के मुंह इंसानों का खून लग चुका है इसलिए वह बार-बार हमला कर रहा है। वन विभाग से मांग है कि जल्द से जल्द आमदखोर लेपर्ड को पकड़कर दूर सुरक्षित स्थान पर छोड़ा जाए।
ग्रामीणों ने बताया- गांव के आस-पास घने जंगल हैं। यहां लेपर्ड की अच्छी खासी आबादी है। यही कारण है कि सालभर पहले लेपर्ड को मारने वाले शिकारियों को पकड़ा था। उनसे लेपर्ड की खाल सहित शरीर के अन्य हिस्से मिले थे।
उमरिया गांव की रहने वाली हमेरी बाई के ये कपड़े खेत में मिले थे। लेपर्ड उन्हें घसीटता हुआ झाड़ियों में दूर लेकर गया था।
लेपर्ड आदमखोर है या नहीं, एनालिसिस में जुटी टीम वन विभाग के सीसीएफ सुनील ने बताया- तीनों हमले एक ही लेपर्ड ने किए हैं या फिर अलग-अलग ने। फिलहाल ये बता पाना मुश्किल है। इसके लिए हमारी टीम एनालिसिसिस कर रही है। आदमखोर लेपर्ड का पता लगाने के लिए वन विभाग सबसे पहले घटनास्थल से लेपर्ड के पग मार्क के नमूने लेता है। ट्रैप कैमरे से उसके शरीर की कदकाठी, शरीर पर धब्बे-धारियां देखकर पता लगाते हैं।
साथ ही ये देखा जाता है कि घटना उसी जोन में आस-पास 5 से 7 किमी के दायरे में हो रही या नहीं। दो या तीनों घटनाओं की दूरी और उनका समय देखा जाता है। अटैक करने का तरीका सेम है या अलग है। इंसानों को खेत पर काम करते वक्त या किस समय वह उन पर अटैक कर रहा है।
साथ ही जिस इंसान को मारा है उसके शरीर पर घाव में लेपर्ड के दांतों की दूरी का मिलान करते हैं। इन सारी चीजों की एनालिसिस करके लेपर्ड को आदमखोर माना जाता है। इसके बाद उस लेपर्ड को इंसानों के लिए घातक मानते हुए या तो गन से मार दिया जाता है या फिर ट्रैंकुलाइज करके दूर सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया जाता है।
कैप्टन संदीप चौधरी के नेतृत्व में आर्मी के 8 सैनिक और वन विभाग की टीम सर्च ऑपरेशन कर लेपर्ड की तलाश कर रहे हैं।
आर्मी भी आदमखोर लेपर्ड की तलाश में वन विभाग और आर्मी टीम सर्च ऑपरेशन चलाकर लेपर्ड की तलाश कर रही है। वन विभाग के आला अधिकारियों ने रात भर जंगलों के पास ही डेरा डाल रखा है। टीम के साथ लेपर्ड के मूवमेंट पर नजर रख रहे हैं। गोगुंदा के एसडीएम डॉ. नरेश सोनी ने बताया कि आर्मी के कैप्टन संदीप चौधरी के नेतृत्व में 8 सैनिक 20 सितंबर की रात से ही छाली गांव में हैं।
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