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शुक्रवार को उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी की मौजूदगी में झालाना स्थित राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर के ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया।
‘प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना’ की प्रथम वर्षगांठ पर कौशल विकास एवं उद्यमशिलता मंत्रालय (एमएसडीई), भारत सरकार की ओर से वर्धा, महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम से आईटीआई जयपुर से योजना त
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दीया कुमारी ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि हुनरमंद कलाकार लोग एक साल पहले यह सोच भी नहीं सकते थे कि उनके उत्थान के बारे में कोई सोचता है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने शानदार विजन के अनुसार आज से एक साल पहले ऐसे हाथ से काम करने कारीगरों और कलाकारों के लिए ‘प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना’ को शुरू किया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के विजन अनुसार इस योजना की शानदार सफलता का एक साल पूरा होना गर्व का विषय है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के विजन अनुसार इस योजना की शानदार सफलता का एक साल पूरा होना गर्व का विषय है। 18 पारम्परिक कलाओं से जुड़े कारीगरों और शिल्पकारों को आगे बढ़ने का अवसर मिला है। यह समारोह इस योजना की सफलता की कहानी बता रहा है। हाथ के कारीगरों, हुनरमंद कलाकारों के लिए योजना वरदान साबित हो रही है। छोटे स्तर पर काम करने वाले इन कारीगरों एवं शिल्पकारों को आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा है। व्यवसाय आगे बढ़ाने के लिए आसानी से ऋण मिल रहा है, कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है और टूलकिट खरीदने के लिए ई – वाउचर दिए जा रहे हैं।
व्यवसाय आगे बढ़ाने के लिए आसानी से ऋण मिल रहा है, कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है और टूलकिट खरीदने के लिए ई – वाउचर दिए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की सोच हुनर से होगा देश का नवनिर्माण इस योजना के माध्यम से साकार हो रही है। यह एक ऐसी योजना है जिससे हुनरमंद हाथ के कारीगरों को, कलाकारों को एक बार ही नहीं अपितु बार-बार लाभ होगा। प्रधानमंत्री “वोकल फोर लोकल’ की सोच के साथ देश को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आज हमें संकल्प लेना चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा हुनर मंद लोगों को योजना की जानकारी दी जाए, ताकि वो इस योजना से जुड़कर लाभ उठा सकें और आगे बढ़ सकें। योजना का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार किया जाए।
इस योजना से पुरुष कारीगर लोगों के साथ ही महिला कारीगर भी जुड़ रही है। उन्होंने कहा कि आज आरआईसी परिसर में आयोजित प्रदर्शनी में मुझे महिला कारीगरों और हस्त शिल्पियों की संख्या ज्यादा दिखी हैं। यह इस योजना से महिला उत्थान का भी एक अच्छा उदाहरण है। योजना से महिला कलाकारों को भी लाभ हो रहा हैं, वे आगे बढ़ रही हैं यह बहुत शानदार और प्रसन्नता की बात है।
इस अवसर पर जयपुर शहर की सांसद मंजू शर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि कारीगरों और शिल्पकारों को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री ने यह योजना शुरू की है। इसका उद्देश्य ‘विरासत भी विकास भी’ है। हमारी 18 कला बढ़ई (सुथार/बधाई), नाव निर्माता, कवच निर्माता, लोहार (लोहार), हथौड़ा और टूल किट निर्माता, ताला बनाने वाला, सुनार (सोनार), कुम्हार (कुम्हार), मूर्तिकार (मूर्तिकार, पत्थर तराशने वाला), पत्थर तोड़ने वाला, मोची (चर्मकार)/ जूते बनाने वाला/जूते कारीगर, राजमिस्त्री, टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/कॉयर बुनकर, गुड़िया और खिलौने निर्माता (पारंपरिक), नाई (नाई), माला निर्माता (मालकार), धोबी; दर्जी (दर्जी) और मछली पकड़ने का जाल बनाने वाला की कालाओं को पहचान कर उनको आगे बढ़ने का अवसर दिया गया है।
सिविल लाइंन्स विधायक गोपाल शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर सेवा पखवाड़ा चल रहा है। हम प्रधानमंत्री की अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करते हैं।
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