[ad_1]
‘सारंग अंग’ नामक ये कार्यक्रम मालवीय नगर स्थित दर्शक कॉलेज ऑफ म्यूजिक एंड आर्ट्स की ओर से आयोजित किया गया।
दिल्ली की इंदिरा गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी के संगीत विभाग की सह आचार्य डॉ. सीमा जौहरी ने शुक्रवार को शहर के संगीत प्रेमियों को ‘सारंग’ अंग के रागों और उनके छिपे भावों की जानकारी दी। ‘सारंग अंग’ नामक ये कार्यक्रम मालवीय नगर स्थित दर्शक कॉलेज ऑफ म्यूजिक
.
कार्यक्रम समन्वयक प्रोमिला राजीव भट्ट ने बताया कि कार्यक्रम में सीमा ने सारंग अंग के करीब आठ रागों की जानकारी देते हुए उन पर आधारित फिल्मी गानों और लोक गीतों के बारे में भी जानकारी प्रदान दी। प्रारंभ में उन्होंने राग वृन्दावनी सारंग की बंदिश ‘बन-बन ढूंढत जाउं’ और उसके बाद इसी राग पर आधारित फिल्मी गीत ‘सावन आए या ना आए’ सुनाकर श्रोताओं को आल्हादित कर दिया।
सीमा ने सारंग अंग के करीब आठ रागों की जानकारी देते हुए उन पर आधारित फिल्मी गानों और लोक गीतों के बारे में भी जानकारी प्रदान दी।
इसके बाद उन्होंने मद्यमाद सारंग की जानकारी देते हुए इस राग में छोटे ख्याल की बंदिश और उसी पर आधारित फिल्मी गीत ‘जादूगर सैंया छोड़ो मोरी बैंया’ गाकर संगीत शास्त्र पर अपनी मजबूत पकड़ से श्रोताओं को अवगत कराया।
इसके बाद उन्होंने कल्याण थाट के सारंग परिवार के राग ‘शुद्ध सारंग’, ‘गौड़ सारंग’, ‘मियां की सारंग’, ‘बड़ हंस सारग’ और ‘लंका दहन सारंग’ आदि रागों की बंदिशों का गायन किया। इस मौके पर मौजूद संगीत गुरु पं. हेमंत भट्ट ने संगीत प्रेमियों के आग्रह पर राग शुद्ध सारंग की बंदिश ‘अब मोरी बात मान ले पियरवा’ सुनाई, जिस पर वहां मौजूद संगीत के विद्यार्थियों ने भी अपना स्वर मिलाया। कलाकारों के साथ तबले पर पीयूष कुमार ने संगत की।
अंत में दर्शक कॉलेज के निदेशक पं. राजीव भट्ट ने अतिथि कलाकारों का अभिनंदन किया। कार्यक्रम का संचालन प्रोमिला राजीव ने किया।
[ad_2]
Source link