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Pakistan Promised China Militarized Naval Base: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की साख कितनी गिरी है, इसका नमूना तो आए दिन देखने को मिलता ही है, लेकिन एक दस्तावेज के खुलासे में पाकिस्तान का दोहरा रवैया भी सबके सामने आ गया है.
ड्रॉप साइट न्यूज ने गुप्त दस्तावेजों के हवाले से बताया है कि पाकिस्तान ने चीन से ग्वादर में एक सैन्य बेस स्थापित करने के लिए जगह देने का वादा किया था. यह कदम तब उठाया गया जब पाकिस्तान अमेरिका को अपने पक्ष में लुभाने में असफल रहा. इसके साथ ही, पाकिस्तान ने बीजिंग की लंबे समय से जारी मांग को भी मान लिया, जिसमें संयुक्त सैन्य अभियानों को अधिकृत करने की बात थी.
अमेरिका का पिछलग्गू बना था पाकिस्तान
लीक हुए दस्तावेज़ों के मुताबिक, पाकिस्तान ने चीन से एक नए सैन्य नौसैनिक अड्डे का वादा किया है, जो दोनों देशों के बीच गहराते सैन्य संबंधों की पुष्टि करता है. इन दस्तावेज़ों में चीन और अमेरिका के बीच पाकिस्तान की रणनीतिक स्थिति के बारे में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के साथ संबंधों में सुधार के प्रयास के तहत, पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा अक्टूबर 2022 में वाशिंगटन की आधिकारिक यात्रा पर गए थे. उनका मकसद यह था कि वे अमेरिका को आश्वस्त कर सकें कि पाकिस्तानी सेना चीन या रूस की बजाय अमेरिका की ओर अपना झुकाव रखती है.
चीन को ग्वादर बंदरगाह पर सैन्य अड्डा बनाने की इजाजत
बाजवा ने अमेरिका में यह वादा किया कि पाकिस्तानी सेना की प्राथमिकता बीजिंग के मुकाबले वाशिंगटन के प्रति होगी. हालांकि, पाकिस्तान को अमेरिका से पहले जैसा समर्थन और विश्वास प्राप्त करने में सफलता नहीं मिली. अमेरिकी दांव विफल होने के बाद, पाकिस्तानी अधिकारियों ने चीन के साथ संबंधों को सुधारने के प्रयासों को तेज कर दिया. इसी क्रम में पाकिस्तान ने ग्वादर के बंदरगाह पर सैन्य अड्डा स्थापित करने के लिए बीजिंग को मंजूरी देने का वादा किया था.
भारत और अमेरिका की चिंता कैसे बढ़ी?
ग्वादर बंदरगाह पर चीन की सैन्य मौजूदगी ने भारत और अमेरिका को असहज कर दिया है. ग्वादर इलाके से भारत और अरब सागर पर सीधे नजर रखी जा सकती है. इसके अलावा ग्वादर में आने से चीन भी अपने इलाके से इतर दूसरे इलाके में अपनी पैठ बना सकेगा जिससे भारत और अमेरिका के लिए चिंता की स्थिति पैदा हो सकती है.
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