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ऐसी व्यवस्था की जाए कि जहां नए उद्योग खुल रहे हों, वहां अन्य संस्थाओं की मदद से श्रमिकों के रहने की व्यवस्था भी विकसित की जाए। औद्योगिक क्षेत्रों के पास ही उनके लिए सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया करवाएंगे तो औद्योगिक क्षेत्रों में झुग्गी-बस्तियों पर भी नि
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श्रम विभाग इस्कॉन जैसी बड़ी संस्थाओं से मदद लेकर उनकी तर्ज पर श्रमिकों के भोजन की व्यवस्था भी शुरू करें। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ये निर्देश बुधवार को मंत्रालय में श्रम विभाग की गतिविधियों व योजनाओं की समीक्षा के दौरान दिए। उन्होंने कहा कि रोजगार आधारित उद्योगों के लिए औद्योगिक संस्थान में ही प्रशिक्षण की व्यवस्था भी की जाए, ताकि मप्र में स्किल्ड लेबर की उपलब्धता बढ़े।
समीक्षा बैठक में श्रम तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मॉडल श्रम कल्याण केंद्र ऐसे औद्योगिक क्षेत्रों के करीब बनाए जाएं, जहां श्रमिक ज्यादा हों। इस तरह के केंद्र सतना और ग्वालियर में बनाए जाने चाहिए। मजदूरों के बकाया भुगतान से जुड़े लंबित मामलों को निपटारा समय तय कर किया जाए। कर्मचारी राज्य बीमा निगम की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेशभर में कर्मचारी राज्य बीमा निगम द्वारा संचालित अस्पतालों का भौतिक निरीक्षण किया जाए। जर्जर हो चुके भवनों को उपयोगी बनाने की व्यवस्था की जाए।
श्रमिकों के 15 छात्र जेईई-नीट में चुने गए: बैठक में बताया गया कि प्रदेश में भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में चार श्रमोदय आवासीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इनमें 3500 बच्चे सीबीएसई पाठ्यक्रम से पढ़ रहे हैं। इन स्कूलों के 15 छात्रों ने जेईई और नीट परीक्षा पास की है, जबकि 13 तो नेवी और सशस्त्र बलों में चयनित हुए हैं।
हर मॉडल रैन बसेरा पर खर्च होंगे 6 करोड़ रुपए, भोपाल-इंदौर में भी बनेंगे
बैठक में मुख्यमंत्री को बताया गया कि प्रदेश के 16 नगर निगम क्षेत्रों में श्रमिकों के लिए 100 बिस्तर क्षमता के मॉडल रैन बसेरे बनाने की प्रक्रिया जारी है। इनका संचालन जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति नगर निगम के जरिए करेगी। अब तक भोपाल, सागर, जबलपुर और इंदौर जिलों से श्रम विभाग को प्रस्ताव मिल चुके हैं। इनके महिला-पुरुष के अलग-अलग रुकने की व्यवस्था के साथ ही डिस्पेंसरी भी शुरू की जाएगी। हर रैन बसेरा के निर्माण पर करीब 6 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
1.81 करोड़ श्रमिकों का ई-श्रम पोर्टल में रजिस्ट्रेशन
बैठक में अफसरों ने बताया कि ई-श्रम पोर्टल पर 1.81 करोड़ श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन कर देश में चौथा स्थान प्राप्त किया गया है। प्रदेश में करीब 15 लाख पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के आयुष्मान कार्ड जारी किए जा चुके हैं। एक अप्रैल-2024 से न्यूनतम वेतन अधिनियम के तहत मूल वेतन की दरों के पुनरीक्षण की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है।
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