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झारखंड सरकार ने राज्य के हाई कोर्ट के साथ-साथ देश के अन्य उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति करने में असाधारण देरी को लेकर केंद्र सरकार के संबंधित शीर्ष अधिकारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक अवमानना याचिका दायर की है। झारखंड सरकार ने इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता के सिद्धांत के लिए नुकसानदायक करार दिया है।
झारखंड सरकार की याचिका में कहा गया है कि केंद्र ने राज्य के चीफ जस्टिस की नियुक्ति के लिए शीर्ष अदालत की कॉलेजियम द्वारा पारित प्रस्ताव को लागू नहीं किया है। इसकी वजह से झारखंड हाई कोर्ट (15 दिनों की संक्षिप्त अवधि को छोड़कर, जिसके दौरान जस्टिस बीआर सारंगी को नियमित चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया था) पिछले नौ महीनों से कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की व्यवस्था के तहत चल रहा है।
याचिका में कहा गया है, ‘भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम की सिफारिश के बाद उच्च न्यायालयों में मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में अत्यधिक देरी, न्यायाधीश नियुक्ति मामले में इस न्यायालय के नौ न्यायाधीशों की पीठ द्वारा पारित 06 अक्टूबर, 1993 के फैसले और विशेष रूप से मेसर्स पीएलआर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड में 20 अप्रैल, 2021 के आदेश का सीधा उल्लंघन है।’
झारखंड सरकार की याचिका में तर्क दिया गया है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम के बाध्यकारी निर्णय को लागू करने में विफलता शीर्ष अदालत के आदेशों की जानबूझकर अवज्ञा होगी। मेसर्स पीएलआर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड मामले में इस न्यायालय द्वारा स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सिफारिश पर अमल की जानी चाहिए और उसके दोहराए जाने के तीन से चार सप्ताह की अवधि के भीतर नियुक्ति की जानी चाहिए।
हालांकि, राज्य सरकार ने याचिका में यह भी बताया कि 11 जुलाई को कॉलेजियम ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति एम एस रामचंद्र राव को झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में स्थानांतरित किया था। हालांकि, यह सिफारिश अभी भी केंद्र सरकार के समक्ष विचाराधीन है। न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद को 19 जुलाई को झारखंड हाई कोर्ट का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया और वे आज तक इस पद पर कार्यरत हैं।
याचिका में कहा गया है, ‘हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश महत्वपूर्ण प्रशासनिक कार्य करते हैं और मुख्य न्यायाधीश नहीं होने से राज्य में न्याय प्रशासन प्रभावित होता है।’ राज्य सरकार ने कहा कि कॉलेजियम ने तत्परता से कार्रवाई की और 11 जुलाई, 2024 को झारखंड के मुख्य न्यायाधीश के पद पर होने वाली रिक्ति के बारे में पहले ही सिफारिश कर दी थी।
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